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आजकल बागेश्वर बाबा के पीठाधीस्वर के नाम से प्रसिद्ध धिरेन्द्र शास्त्री के चमत्कारों पर स्याम मानव द्नारा सवाल उठाये जाने के बाद देश ने मीड़िया मे पक्ष व बिपक्ष पर कई सवाल उठाये जा रहे है ,।इस विवाद मे मीड़िया द्वारा शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द से भी मीड़िया मे प्रतिक्रिया जाननी चाही को शंकराचार्य ने कहा कि यदि कोई चमत्कार कर रहा है तो उसे जोशीमठ में पड़ रही दरारों को भर देना चाहिये हम फूल माला लेकर स्वागत करेंगे ।

शंकराचार्य की इस टिप्पड़ी पर सबसे अधिक मुखर रामभद्राचार्य हुवे है उनका कहना है कि धिरेन्द्र शास्त्री उनका शिष्य है वह चमत्कार कर रहा है , उन्होंने शंकराचार्य की पद प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठाये ।

शंकराचार्य की इस प्रतिक्रिया पर कठोर व अभद्र टिप्पड़ी करते हुवे रामभद्राचार्य ने कहा कि धिरेन्द्र शास्त्री उनका चेला है ,वह चमत्कार कर रहा है । उन्होंने अविमुक्तेश्वरानन्द के शंकराचार्य होने पर ही सवाल उठा दिये । उनके वक्तब्य से ऐसा प्रतीत हुवा कि उन्होंनें सत्य का अनुशरण करें बिना ही अपनी प्रतिक्रिया मे शंकराचार्य के प्रति अशोभनीय टिप्पड़ी कर अपनी पद की गरिमा को तार -तार कर दिया ।राम भद्राचार्य यही नही रुके उनके हवाले से मीड़िया मे कहा जा रहा है कि उन्होने 100वर्ष की आयु में दिवंगत स्वामी स्वरूपानन्द की मृत्यु पर भी सवाल उठा दिये , । टी बी चैनलों मे हिचकोले खा रहे ये सन्त देश में एक दूसरे के प्रति अशोभनीय टिप्पड़ी व मुकदमेबाजी करायेगे तो सनातन की रक्षा कैसे होगी बागेश्वर पीठ के पीठाधीस्वर के रूप में प्रसिद्ध हो रहे धिरेन्द्र शास्त्री की इस बात के लिये सराहना की जानी चाहिये कि उन्होंने समातन धर्म के किसी सन्त के खिलाफ कोई टिप्पड़ी नही की । धिरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि वह देश को हिन्दु राष्ठ बनाना चाहते है ,। इसके लिये साधु सन्तों को उनका समर्थन करना चाहिये । जब मीड़िया द्वारा शंकराचार्य से इस पर सवाल जबाब मागा गया तो उन्होंने कहा कि वह तो रामराज्य बनाने पर यकीन करते है राम राज्य सभी को स्वीकार होगा । शंकराचार्य ने कहा कि जिस प्रकार गंगा को राष्ट्र नदी बनाकर उसमे गटर का पानी बहाया जा रहा है ऐसे ही सिद्धान्त विहीन हिन्दु राष्ट्र बन भी गया तो उससे क्या लाभ होना है ।

इस सारे विवाद मे शंकराचार्य के कहने का आशय यह रहा होगा कि सृष्ठि चमत्कारों से नही वल्कि नियम से चलती है । उन्होने देश के समस्थ चमत्कारियों से कहा कि हर सम्प्रदाय में चमत्कारी चमत्कार का दावा कर रहे है पर मीड़िया मे केवल धिरेन्द्र शास्त्री की ही चर्चा हो रही है जबकि इस प्रकार के काम तो कई लोग कर रहे है । उनकी कोई बात ही नही कर रहा ।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि चमत्कारों के नाम पर भीड़ का जुट जाना अस्वभाविक नही है , इस संसार मे हर कोई शौर्ट -कट से आगे बढना चाहता है , किन्तु भीड़ मे जब अधिकांश लोगो की मनोकामना पूर्ण नही होती तो उनकी धर्म के प्रति अनास्था प्रकट हो जाती है । इससे दीर्घकाल मे धर्म की हानि ही होती है , लोग अकर्यमण्य होकर चमत्कारों के पीछे भागने लगते है । रामायण व महाभारत दोनो ही कर्म के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करते है , स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि ईश्वर को छोडकर कोई भी मनुष्य सर्वशक्तिमान नही है यदि कोई ऐसा कहता है तो वह केवल छलावा है ।.

जहां तक मन की बात जान लेने का सवाल है ऐसा दावा तो कई लोग करते है , यह कोई नई बात नही है ।पर सवाल यह है कि समस्याओं का समाधान कितना हो रहा है । यदि उम्मीद जगाकर समाधान नही होगा तो धर्म पर सवाल उठेगे शंकराचार्य ने कहा कि उनका काम किसी चमत्कार पर टिप्पड़ी करने के बजाय.सिद्धान्त निरूपित करना है , वेद स्मृति व शास्त्रों के अनुसार संसार में केवल व केवल ईश्वर ही सर्वशक्तिमान है । वही नियम बनाता है व संसार को चलाता है ।

उन्होंने कहा कि भीड़ का स्वभाव स्थाई नही होता , जबकि सनातन सिद्धान्त शास्त्र सम्मत होमे से स्थाई होते है आज राजमैतिक कारणों से धर्म पर संकट है , सह अपना – अपना मत बढा कर राजनीति पर कब्जा करना चाहते है जबकि इनका धर्म से लेना देना नही है आज गैर धार्मिक व धर्म के मामले मे अज्ञानी लोग धर्म पर टिप्प़डी कर रहे है । यह सब राजनैतिक कारणों से हो रहा है ।

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