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अक्सर संघ परिवार पर यह आरोप लगाया जाता है कि संघ ब्राह्मणवादी संगठन है , संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश भर मे रामचरित मानस पर उठ रहे विवाद के बीच यह स्पष्ठ कर दिया कि जातियां ईश्वर ने नही ब्राह्मणो मे बनाई । वे संन्त रविदास की जयन्ती पर बोल रहे थे इस पर ब्राह्मण व सन्त समाज की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है ,
संघ पर ब्राह्मणवादी होने के आरोप लगते रहे है । इन दिनों समाज के हर क्षेत्र मे नेताओं का प्रभाव बढता जा रहा है नेताओं को सत्ताा रेवड़ी की तरह लगने लगी है , जिसे भी सत्ता की रेवड़िया नही मिल रही है या छिनने का डर लगता है वह ब्राह्मणों को गालिया देने व आरोपित करने का काम करता है , कर्म से सत्ता संचालित करने वाले ब्राह्मणों के बिना तो देश चल ही नही सकता पर नेता जन्म आधारित ब्राह्मणों को तारगेट करने लगे है । अब संघ भी अपने को ब्राह्मण पक्षीय होने के इन आरोपों से मुक्त करना चाहता है । मोहन भागवत के बयान को इसी श्रंखला मे देखा जा रहा है । किन्तु जब तक देश मे संविधान का वर्तमान ढंचा मौजूद है , संविधान से जन्म आधारित ब्राह्मणों को मिटाया नही जा सकता क्योंकि संविधान जातियों को कर्म से नही जन्म से मानता है । संविधान जातिवादी ब्यवस्था का कवच बनकर खड़ा है , संविधान ने जातियो को स्थायित्व प्रदान किया हुवा है , वर्तमान संवैधानिक ब्यवस्था में समाज दो भागों मे विभाजित है जिसे अगड़ा व पिछडा कहा जा जाता है , संविधान मे अगडे को कोई कवच नही दिया गया है जबकि पिछड़ों को संवैधानिक कवच प्राप्त है । दलित-पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों, का कहला है कि भारत 5%पिछड़ो का देश है , ऐसा कहने वाले राजनैतिक दलों मे सपा ,वसपा आर जे डी टी आर एस बामपन्थी आदि बड़ी संख्या मे राजनीति करने वाले छोटे दल शामिल है , संघ को वामपंथी विचारधारा के दलों का हमेशा से आरोप रहा है कि संघ के शीर्ष पदों पर हमेशा ब्राह्मण ही बैठते आए हैं। अब सरकार पर भी ओ बी सी दलित राजनीति करने वाले दल यह आरोप लगा रहे बै कि सत्ता के शीर्ष पर ब्राह्मण बैठे है ।ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत की बेचैनी भी बढ गई है ,ऐसे संकेत है कि कि संघ भी यह सोच रहा है कि उसे भी ब्राह्मणो के खिलाफ बन रहे माहौल में शामिल हो जाना चाहिये , अब संघ की तरफ से इसमे सफाई भी आई है संघ प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने कहा है सि संघ प्रमुख संन्त रविदास की शिक्षाओं पर बोल रहे थे जिसमे उन्होंने जातिवाद के लिये पंण्ड़ितो को जिम्मेदार ठहराया , महाराष्ठ में पंण्ड़ित विद्वानों को कहते है ।
वर्तमान संघ प्रमुख मोहन भागवत के नेतृत्व में संघ ने अपनी कई पारंपरिक विचारधारा में बदलाव लाने का संकेत दिये है। संघ को अब मुसलमानो से भी परहेज नही है , राष्ट्रीय मुस्लिम मन्च संघ का एक अनुसांगिक संगठन है जो मुस्लिम हितों की लड़ाई लड़ता है मोहन भागवत भी मुस्लिम नेताओं से अब खुलेआम मुलाकाते कर मुस्लिमों के प्रति अपने बदलते दृष्टिकोण का परिचय दे रहे है , अब महिलाओं के प्रति भी संघ का दृष्ठिकोण बदल रहा है ।दशहरा के अवसर पर नागपुर में एक महिला अतिथि को बुलाकर मोहन भागवत ने महिलाओं के प्रति सकारात्मक होने का संकेत दिया। मोहन भागवत के नेतृत्व मे संघ ने परंपरागत सोच से आगे बढ़कर ट्रांसजेडर(समलैंगिक ) समुदाय के लोगों को भी समाज के एक हिस्से के रूप में स्वीकार किया । अब मान लेना चाहिये सम्भवतया जातियों के निर्माण के पीछे भी संघ की सोच बदल रही है। वह इन जातियों के निर्माण के लिये पंण्डितो (ब्राह्मणों )को जिम्मेदार बता रहे है ।
क्या जातियां(समुह) नही होती ,रक्त.के आधार पर समुह (जातियां)
मनुष्य की संरचना एक जैसी व जन्म प्रक्रिया व मृत्यु एक जैसी है किन्तु इस सब के बावजूत रक्त समुह आठ.प्रकार के होते है जिसमें एआरएचडी नकारात्मक (A-), बी RhD सकारात्मक (B +)● बी RhD नकारात्मक (B-)● ओ RhD सकारात्मक (O +)● ओ RhD नकारात्मक (O-)● एबी RhD सकारात्मक (AB +) एबी RhD नकारात्मक (AB-) संसार के सब मनुष्य रक्त समुहों के आधार पर कम से कम आठ प्रकार के है । यह समुह माता या पिता में से बच्चों मे आता है ।
संरचना के आधार पर समुह (जातियां)
पूरी दुनिया मे मनुष्य कद कांठी के आधार पर भी समुह मे बटे है जिसमें अलह – अलग कद कांठी के लोग प्रमुख है चीनी लोगो कद मे छोटे व आँखे गड्डो मे धंसी होती है , स्वभाव से बेहद फुर्तीले , व मेहनती होते है ,नेपाली कद में छोटे व शाहस में बहादुर होते है , हरियाणा व मध्य भारत के लोंग लम्बे , चौडे , बिचारो मे दृढ , व मजबूत शरीर वाले होंते है । मणिपूर मेघालय व आसाम लोग सुन्दर सुडौल चेहरे वाले होते है , यह जैव विविधता प्रकृति की देन है । प्रकृत रे अनुसार ही मनुष्यों के गुण कर्म स्वभाव अलग अलग है । सोचनीय बात यह है कि क्या इस तरह की विनिधता के लिये ब्राह्मण या पंण्डित जिम्मेदार है ।
सोच व समझ के अनुसार समुह (जातियों) के भेंद
संसार में यदि सब की सोच समझ एक जैसी हो जाय तो क्या विविध कार्य संम्पादित हो सकते है । यह तो वही बता सकते है जो यह कह रहे है कि विविधता पर आधारित भेंद पंण्डितों ने बनाये है। अलग – अलग काम के लिये अलग – अलग ब्यक्ति की नियुक्ति कार्य की दृष्ठि से बहुत ही जरूरी है ।
दायित्व के आधार पर समुह (जातिया)
इसी बात को ध्यान मे रखते हुवे सनातन धर्म के चार वर्ण आश्रम पुरुषार्थ तय किये गये है तय किये गये है । ब्राह्मण , क्षत्रिय.बैश्य शूद्र , यह एक एक शरीर के अंगों की तरह काम करते है । यदि किसी मे इनमे से कोई एक अंग ना हो तो वह ब्यक्ति बिगलांग होगा । सबसे पहले सोच, व योजना (ब्राह्मण) उसके बाद ब्यवस्था संचालन व सुरक्षा (क्षत्रिय) विभाग (वैश्य ) संचार परिगमन शूद्र , इसी प्रकार चार पुरुषार्थ , धर्म (नीतिगत ब्यवस्था) अर्थ(संसाधन ) काम (जरूरत) मोक्ष (तृप्ति) इसी प्रकार चार आश्रम ब्रह्मचर्य (अध्ययन व संस्कार)ग्रहस्थ (परिवारिक दायित्व ) बानप्रस्थ(सामाजिक दायित्व ) संन्यास (मानसिक शान्ति का अभ्यास )
पैत्रिक संम्पत्ति के आधार पर समुह
भारतीय समाज मे कार्य व संम्पत्ति के आधार पर बने समुहों के बीच ही आज सबसे बड़ा विवाद है , समाज का हर वर्ग अपनी पैत्रिक सम्पत्ति को ना तो पूर्ण रूप से त्याग पा रहा है ना ही अपना पा रहा है , यदि देखा जाय तो विवाद भी यही पर है , ब्राह्मण परिवार में पैदा होने वाले बच्चो को संस्कार व शिक्षा , क्षत्रिय परिवार में पैदा बच्चे रो पराक्रम , वैश्य परिनार मे पैदा हुवे बच्चे को ब्यापार , व शूद्र परिवार मे पैदा हुने बच्चों को श्रमजन्य शिल्प परिवहन आगि की शिक्षा अपने परिवार से पैत्रिक सम्पत्ति के रूप में मिसती है पर वयस्क होने पर वह नवीन कर्म भी कर सकते है अपना कार्य बदल सकते है , जैसा कि आजकल हो रहा है रर कार्य बदलने के बाद भी वर्ण ही बदले तो समस्या या अवसाद होना स्वभाविक है पर दुख की बात यह है , कि ब्यवस्था संचालन की दिम्मेदारी सदैव ही उन पर है जो राजकाज सभालते है राजकाज की असफलता के लिये राजकाज की ब्यवस्था बना रहे राजकीय ब्राह्मण (आई ए एस , राजकीय क्षत्रिय सेनापति (आई पी एस )व राजकीय बैष्य (कर संग्रह व ब्यापार ब्यवस्थापक ) तथा राजकीय शूद्र (परिवहन ब्यवस्थाापक ट्रान्सपोर्टर , उत्पादक, मजदूर फैक्ट्रिया आदि )जिम्मेदार नही तो जन्मजात ब्राह्मण कैसे जिम्मेदार है , कथित ब्राह्मण के घर मे पैदा हो जाने से क्या कोई ब्यक्ति,समुह इस सामाजिक विभाजन के लिये कैसे जिम्मेदार है ,