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कर्नाटक चुनाव मे , बी जे पी की हालत वही हो गई जो उत्तराखण्ड़ मे काग्रेस की हालत है । मजबूत बिकल्प , संगठित नेतृत्व के बल पर कर्नाटक मे काग्रेस ने लगभग एकतरफा जीत हासिल कर ली है । यद्यपि अब गैद काग्रेस के पाले मे है वह 137 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है पर सरकार का मुखिया कौन होगा , इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा । बी जे पी को इस चुमाव मे महज 67 लीटों पर ही संन्तोष करना पड़ा ।
पहली बार मोदी मैजिक पर उठे सवाल
अब तक प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी देशभर मे बी जे पी के खेवनहार के रूप मे अपनी छबि बना चुके थे ,पहली बार कर्नाटक की जनता ने बी जे पी को बता दिया कि रेवल मोदी मैजिक नही चलेगा बल्कि जनता के लिये लरकारों को दमीन मे भी काम करना होगा । मोदी जी यदि रोड शों नही करते तो बी दे पी के लिये 67 का आंकड़ा छूना भी कठिन हो जाता राहुल प्रियंका ने राहुल की संसद सदस्यता पर इमोशनल कार्ड खेला , तो वही राह्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक मे दलित बोटों का काग्रेस मे ध्रुवीकरण कराया , इस बार जबल इंजन का नारा फ्लाप हुवा व हिन्दु मुस्लिम ध्रुवीकरण भी नही हो सका। चुनाव मे महंगाई व भ्रष्टाचार के मुद्दे हावी रहे दिल्ली मे महिला पहलवानों के आन्दोलन ने भी बी जे पी की छबि खराब की ।