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बिना खलनायक के नायक की प्रतिष्ठा नही हो सकती , भारत में मुस्लिमों का आगमन मुगलकाल की देन नही बल्कि इसको हम इससे पूर्व के काल मे देख सकते है । 712 ई मे मुहम्मद विन कासिम मे सबसे पहले लिन्ध यनि हिन्द पर आक्रमण किया था तथा सिन्ध मे खूब तबाही मचाई थी । यनि अरब में जब ईस्लाम अस्तित्व में आया तो भारत मे भी आक्रमण आरम्भ हो गये , कालान्तर में भारत पर मंगोलो के आक्रमण भी हुवे चंगेज खां को इतिहास में मंगोलों के आक्रमण का मुख्य खलनायक माना जाताहै ।

वर्तमान मे भा ज पा सरकार नये ढंग से इतिहास लिखवा रही है , बामपन्थी लेखको द्वारा लिखे गये इतिहास को बदल कर एक नया इतिहास रचा जा रहा है , पर असल सवाल यह है कि हम खलनायकों के बिना नायक की स्धापना नही कर सकते , यदि अगबर नही पढेगे तो महाराणा प्रताप रो स्थापित नही कर पायेगे किन्तु यह जरूर होगा कि अब तक अगवर महान थे अब महाराणा प्रताप को महान लिखा जायेगा , पर महाराणा प्रताप सत्ता के केन्द्र नही बन पाये , ऐसी स्तिथि मे मुगलकाल की राजनैतिक ब्यवस्था का विकल्प महाराणा नही हो सकेंगे ।भारत के इतिहास की बिशेषता यह है कि , यहा हिन्दु , राजाओं मे इतिहास लेखन की परम्परा ही नही रही , जबकि मुस्लिम आक्रान्ताओ ने देश मे इतिहास लेखन की परम्परा डाली , आज यदि हम अगवर महान पढते है तो अगवर की यह छवि मुगलों की देन नही बल्कि उसके सिपहसलाकारों की ही देन है जिसंमे बीरबल , राजा टोडरमल ,, व मानसिह का बड़ा रोल है आज जिस सिन्ध के नाम पर हिन्द बना है वह तो 612 ई मे ही आक्रान्ताओं की गिरफ्त मे जा चुका था , इस समय वह पाकिस्तान मे है , सिन्ध मे पंजाबी मुस्लिमों का आधिपत्य. है , ये पंजाबी मुस्लिम खानदानी मुस्लिम नही अपितु इन मुस्लिमों मे अधिकांन्स बगावती सनातनी हिन्दु जाट , राजपूत मीणा आदि से वने है जिन्होंने वेद की शिक्षाओं को छोडकर इस्लाम की शिक्षाओं को ग्रहण किया हुवा है अरब के लोग इन्हे आज भी हिन्दी ही कहते है । मुस्लिम धर्म मे कुरान को स्वीकार करने के बाद भी ये अपनी पहचान मुस्लिम नही बना पाये अपितु ये हिन्दी ही कहलाते है , यह इतिहास की सच्चाई है ।

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