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उदारीकरण के इस दौर में सब कुछ पूंजी के अधीन है एन डी टी बी का बैक कर्ज जब शेयर मे परिवर्तित हो गये तो अड़ानी ने ऊंची बोली लगाकर एन डी टी बी के शेयर खरीद लिये , वह इस चैनल के भी मालिक हो गये , भारतीय पत्रकारिता के इतिहास मे प्रणव राय ने रवीस कुमार को वह प्लेट फार्म दिया जिसमें काम करते हुवे पत्रकार रवीश कुमार ने पत्रकारिता के कई मुकाम हासिल किये , रामनाथ गोयनका व मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित रवीश कुमार ने एन डी टी वी से अन्तत: त्यागपत्र दे ही दिया । अब तक भारतीय टी वी पत्रकारिता के इतिहास में विपक्ष की एक मात्र आवाज के रूप मे ख्याति प्राप्त चैनल एन डी टी वी का किला भी अडा़नी ने फतह कर दिया है ।अब एन डी टी वी नये तेवरों के साथ व नई भूमिका में नजर आयेगा ,

पिछले आठ सालों मे मोदी सरकार मेंभारतीय टी वी चैनलों ने बिपक्ष से सवाल पूछने आरम्भ कर दिये जिससे सरकार से सवाल पूछना एक चुनौती बन गया , यद्यपि इससे पूर्व भारत की टी वी पत्रकारिता में हर सवाल सरकार से पूछे जाते थे जिससे एक सशक्त बिपक्ष की उत्पत्ति हुई भारत में शीर्ष से लेकर सतह तक सत्ता का परिवर्तन हुवा , इस परिवर्तन का नतीजा बी जे पी की सरकार तथा आम आदमी पार्टी का उदय था ।। काग्रेस के उभरते नेता राहुल गांधी को 2010 के बाद पप्पू बनाने की ब्रांडिग शुरू हुई , । जिसमे एन डी टी वी का योगदान भी था किन्तु जब 2014 में मोदी सरकार आई तब एन डी टी वी ने अपने तेवर पूर्ववत ही जारी रखे , वह देश का एक ऐसा चैनल बन गया जो सरकार से सत्ता बदलने के बाद भी सवाल पूछता रहा और इसके चेहरे के तौर पर रवीश कुमार स्थापित हो गये । मीड़िया सूत्रों के अनुसार अब अडा़नी ने एन डी टी वी का अधिग्रहण कर लिया है । इसी के साथ एन डी टी वी के मालिक रहे प्रणव राय व चेहरे के तौर पर स्थापित रवीश कुमार ने एन डी टी वी से त्यागपत्र दे दिया है , रवीश कुमार अब नई पारी खेलने के लिये तैयार है ।

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