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राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस तमाम बिरोधों टूट -फूट के बावजूत अभी भी  एक राष्ट्रीय पार्टी है , काग्रेस की कमजोर स्थति के लिये काग्रेस पार्टी के छत्रप ही ज्यादा जिम्मेदार है ,जो  केन्द्रिय नेतृत्व को समय – समय पर  गुमराह करते रहे है ।

पार्टी के बड़े नेताओं को पार्टी  से लेना- देमा नही है । यह पार्टी संगठन में नये सदस्यों को जोडने के लिये किसी  प्रकार का प्रयास नही कर रही । नेता संगठन बनाने  बजाय संगठन तोड़ रहे है ।

इस बीत काग्रेस के  वरिष्ट नेता अशोक गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की चर्चाये  हो रही थी पर वह राजस्थान सरकार मे सी एम  पद छोड़ने के लिये तैयार ही नही है एक प्रकार से उन्होंने बगावती तेवर अपना लिये ।बिरोधी तेवर अपनाकर अशोक गहलोत ने यह सावित कर दिया कि मुख्ममन्त्री पद पर उनका जन्म सिद्ध अधिकार है वे उसे नही छोंडंगे दस जनपथ इन पर बडा यकीन कर रहा था ।

चौतरफा दबावो से घिरे गहलोत ने अब बयान दिया है कि वह हाईकमान के फैसले का स्वागत करेंगे उनके इस फैसले से सचिन पाईलट को उम्मीद बँधी है कि वह सी एम बन जाईगे । पर अशोक गहलोत का क्या होगा भविष्य के गर्त में है

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