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1951 मे हमारे गांव के आसपास कोई स्कूल कालेज नही थे ।उस दौर मे हमारे लिये पढाई करना बहुत मुस्किल था यदि आर्य समाज ना होता तो मै आजीवन अपने को समाज के लिये समर्पित नही कर पाती ।
देश की जानी पहिचानी गांधिवादी नेता राधा बहिन ने कौसानी मे राष्ट्रीय आर्य चिन्तन शिविर में अपमे संस्मरण सुनाते हुवे 23जून 2022 को कहा कि बहुत ही कठिनाई से 1950 के दशक में लड़किया स्कूल पढ पाती थी ,। रामगढ मे महात्मा नारायण स्वामी यदि स्कूल नही खोलते को उस दौर की हम जैसी महिलाये कही किसी कौने मे पड़ी चुपचाप अपमे भाग्य का रोना रो रही होती । उन्होंने कहा कि महात्मा नारायण स्वामी ने आजादी से पूर्व रामगढ तल्ला में जो स्कूल खोला उम्हे भी उस स्कूल में पढने का शौभाग्य मिला । उन्होंने कहा कि स्वामी बालिकाओं को विशेष रूप से प्रेरित करते थे कहते थे कि आज की बालिकायें भी गार्गी , अपाला , बन सकती है वह शिक्षा ही नही उच्च संस्कार भी देते थे । राधा बहिन मे कहा कि तब लड़के तो दूर दराज पढने जाते थे , पर लडकिया नही जा पाती थी। छटवी के बाद पढाई छूट गई थी , हमे कहा गया कि अब हम सब बालिकाये सयानी हो गई है । तब नारायण स्वामी जी की सिफारिस पर ही हमे आठवी तक फिर बारहवी तक पढने का मौका मिला ।
राधा बहिन मे कहा कि सरला बहिन के पास आकर उन्होने जो कुछ किया उसमे आर्य समाज की प्रेरणा ही नही आध्यात्मिक बल भी उन्हें मिला ।
राधा बहिन ने कहा कि आर्य समाज ही लोगों को शिक्षा का बुनियादी महत्व बता सकता है । आज की संस्कार बिहीन शिक्षा युवाओं के लिये पैसा कमाने का जरिया बन तो सकती है पर सुखमय जीवन के लिये शिक्षा संस्कारित व आध्यात्मिक रूप से पुष्ट होनी चाहिृये ।यह हमारा शौभाग्य था कि आर्य समाज ने हमारे बाल्य जीवन मे हमें यह सब दिया ।