पद व प्रतिष्ठा ने रिस्ते कर दिये तार -तार निशाने पर महिलायें

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यह कोई पहली घटना नही ,सामान्यत:ऐसी घटनायें आये दिन घटित होती रहती है , एक चतुर्थ  श्रेणि कर्मचारी ने अपनी  पत्नी को विवाह के बाद उच्च शिक्षा दी, पढने में होशियार पत्नी ने पी सी एस की परिक्षा पास कर ली वह एस डी एम बन गई  ,  अधिकारी बनने के बाद पत्नी का उठना बैठना उच्च अधिकारियों के साथ होना सामान्य बात हो गई धीरे -घीरे वह अपने  पति के साथ असहज होने लगी  , उसे यह बात अखरने लगी कि उसका पति एक  सफाई कर्मचारी  है , पत्नी ने पति से दूरिया बनानी आरम्भ कर दी  इन दिनों यह सोसियल मीड़िया मे चर्चा का विषय बनी हुई है । पति ने पत्नी पर आरोप लगाया कि वह पी सी एस अधिकारी बनने के बाद  उससे मुंह मोड़ने लगी है ,उसके दो बच्चों की  जिन्दगियां दांव पर लग गई है , इसके बाद सोसियल मीड़िया  मे महिलाओं को ना जाने क्या -क्या कहा जाने लगा  । यह कहानी उत्तर प्रदेश में  तैनात एक सफाई कर्मचारी  आलोक मौर्या  व उसकी पी सी एस पत्नी ज्योति मोर्या  की है । 

पति पत्नी के बीच लड़ाईया कोई नई नही है ,यह अधिकांश घरों की कहानिया है  इन दिनों  अघिवक्ताओं के पास  तलाक के मामले सबसे अधिक है  व परिवारिक न्यायालयों मे ऐसे मामलों की बढोत्तरी हो रही है ,पर पद प्रतिष्ठा प्राप्त  कर लेने के बाद  जब ऐसे मामले सार्वजनिक होते है उन पर सबकी निगाह पड़ती है । और ये मामले निजि ना होकर सार्वजनिक हो जाते है ।

ज्योति मौर्या  व आलोक मौर्या के आड़ियो  बीड़ियों सार्वजनिक  हो रहे है दोनों  के सम्बन्ध आपसी कटुता से भर गये है । नारीवादी कह रहे है कि पुरुष  महिलाओं को आगे बढता  हुवा नही देख सकते ,व पूरुषों का एक वर्ग कह रहा है कि महिलाओं को आगे नही बढाना चाहिये । अन्यथा उनकी हालत भी आलोक मौर्य की तरह हो जायेगी । 

आलोक मौर्या व ज्योति मौर्या दोनों ही अनुसुचित जाति से आते है ज्योति मोर्या का एक बीड़ियो सार्वजनिक हो रहा है जिसमें व अपने पति को जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर रही है यदि यही काम किसी सवर्ण महिला , या पुरुष कर रहा होता तो यह अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा बन गया होता ,पर दोनों ही एक ही वर्ग से  आते है , संविधान उन्हें इसकी ईजाजत देता है कि वे आपस मे एक दूसरे की जाति को लेकर अपमानजनक शब्द कहें ।

इन दिनों पढी लिखी महिलाओं के बीच एक बहस आम है ,कि वह अपनी जिन्दगी स्वतन्त्र  रूप से  जीना चाहती है ,  सबकी  प्राथमिकतायें  आर्थिक विकास पर केन्द्रित है , महिलाओं का एक वर्ग अपनी जरूरतों के लिये पुरुषों पर निर्भर नही रहना चाहता , पुरुष भी चाहते है कि महिलाये घर गॊहस्थी के साथ उनकी आर्थिक जरूरतों की पूर्ति भी करें ऐसे मे सबल महिलाओं की पुरुषों पर निर्भरता कम हो रही है ,केवल मनोंरंजन व बाद विनोद के लिये ही वह परस्पर निर्भर है सोसिृल मीड़िया ने इस कमी को भी दूर कर दिया है ।

ऐसे मे यदि आलोक मौर्य व ज्योति मौर्य के बीच विवाद हो रहा है तो आश्चर्य नही होना चाहिये। ऐसे विवाद कई घरों है यह मैतिक मूल्यों पर आर्थिक पकड़ का नतीजा है ।

घटना का समाज पर बिपरीत प्रभाव

ज्योति मौर्या के इस ब्यवहार ने उन पतियों को आशंका मे डाल दिया है जो अपनी पत्नियों कों पढा लिखा कर उत्च अधिकारी बनाना चाहते है ,सोलियल मीड़िया के अनुसार लगभग 127 महिलाओं को उनके पतियों ने रोंचिंग संस्थानों से वापस बुला लिया है , देश में पुरुष आयोग बनाने की मांग उठने लगी है ।