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अल्मो़ड़ा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग में आज कविवर सुमित्रानंदन पंत जयंती और लोक कवि शेरदा अनपढ़ जी की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में विभाग के प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने पंत जी और शेरदा अनपढ़ के व्यक्तित्व और रचना कर्म पर प्रकाश डाला। विभाग के शोधार्थी विनीत काण्डपाल ने कार्यक्रम का संचालन किया, शोधार्थी सुनील चौहान ने सुमित्रानंदन पंत जी की काव्य दृष्टि का विश्लेषण किया और उनकी ‘ताज’ कविता का काव्यपाठ किया, हिमानी ने सुमित्रानंदन पंत के काव्य में स्त्री चेतना पर अपने विचार रखे, शोधार्थी नेहा ने पंत जी की कविता ‘भारत माता’ का पाठ किया और सपना ने उनकी ही कविता ‘यह धरती कितना देती है’ के विषय में अपने विचार रखे। इसके पश्चात विभाग की प्राचार्या डॉ माया गोला ने सुमित्रानंदन पंत की कविताओं के विभिन्न आयामों पर चर्चा की, डॉ बचन लाल ने पंत जी के रचना कर्म पर चर्चा परिचर्चा की और अंत में विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति आर्या ने सुमित्रानंदन पंत और शेरदा अनपढ़ के रचनाकर्म की विविधताओं पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि पंत को रचनाकार के रूप में केवल एक ही दृष्टिकोण से नहीं बल्कि समग्रता से देखना चाहिए। ‘प्रकृति के सुकुमार कवि’ पंत ने प्रकृति को बिंब बनाकर किस प्रकार संपूर्ण दर्शन को चित्रित किया इस पर भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर विभाग के अन्य प्राध्यापक डॉ ममता पंत, डॉ आशा शैली और डॉ प्रतिमा भी उपस्थित रहीं।

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