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अल्मोड़ा , हाईकोर्ट निर्देश पर अतिक्रमण के खिलाफ चल रही कार्यवाही से डरे सहमे लोगों ने आज धारानौला मे एक बैठक आयोजित कर सरकार से सवाल पूछते हुवे कहा कि बैकों से कर्ज लेकर अपना रोजगार कर रहे लोग यदि अतिक्रमण के नाम पर उजा़ड़ दिये गये तो सरकार को यह भी बताना चाहिये कि लोग अपना रोजगार कहा करेगे , लोगो ने कहा कि पहाड व मैदानों की भौगोलिक हालातों मे बहुत अधिक अन्तर होने बाद भी पहाड़ व मैदान के लिये एक मानक कैसे हो सकते है , लोगो ने सुप्रिम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुवे कहा कि 45% ंे झुके पहाड़ों मे अधिकतम कितनी सड़क काटी जा सकती है ,इस प्रकरण में सरकार को विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिये पहाडो मे बहुत कम स्थान ऐसे है जहा सौ मीटर हवाई रैन्ज में सपाट मैदान उपलब्ध हौ ,लोगो मे कहा कि बसी बसाई आबादी को हटाने के बजाय सरकार उन स्थानों से सड़को को ले जाये जहा से मानको को पूरा करने मे लोगों को ना उजाड़ना पड़े ,। सभा का संचालन मनोज सनवाल ने किया तथा अध्यक्षता गिरीश खोलिया ने की बैठक में तय किया कि इस प्रकरण को लेकर न्यायालय की डबल वैन्च मे अपील की जाय, यदि यहा से भी राहत नही मिलती तो सुप्रिम कोर्ट मे भी जाया जा सकता है , बैठक मे विनय किरौला , ए के सिकन्दर पवार , मनोहर लाल बल्टियाल एड , महेश प्रसाद आर्य , गिरीश खोलिया कुलोमणि पाण्ड़े , रूप सिह , जशौद सिंह , प्रेम सिह , सहित सैकड़ो लोगों मे भागीदारी की ।
बैठक मे आल वेदर रोड़ के निर्माण मे सुप्रिम कोर्ट द्वारा बनाई गई रवि चौपड़ा कमेटी का हवाला देते हुवे वक्ताओं ने कहा कि सरकार मनमाने तरीके से पहाडो मे सड़रो की चौडडाई नही बढा सकती सरकार को इस फैसले का अध्ययन करना चाहिये, सरकार सडको की चौडाई ज्यादा नही रख सकती ऐसा करने से भू स्खलन का खतरा बढ सकता है , । हिमाचल प्रदेश इसका उदाहरण है ।