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अल्मोड़ा सोच संस्था ने विवेकानंद इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में पीरियड्स को लेकर एक हजार विद्यार्थियों के मध्य आयोजित किया विशाल जागरूकता और पैड वितरण कार्यक्रम, छात्र छात्राओं ने साझा किए अपने अनुभव

अल्मोड़ा: SOCCH संस्था ने विवेकानंद इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में मासिक धर्म विषय पर जागरूकता और पैड वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया। लगभग 3 वर्षो से माहवारी को लेकर काम कर रहे शोधार्थी आशीष पंत ने पिछले दिनों अपने द्वारा किये जा रहे कार्यों को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए सोच संस्था का पंजीकरण कराया। इस दौरान कार्यक्रम में एक हजार से अधिक छात्र छात्राएं एवं शिक्षक मौजूद रहे।

कार्यक्रम का संचालन सोच संस्था के सचिव मयंक ने किया। मयंक ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखते हुए आशीष के शोध कार्य पर बनी डॉक्यूमेंट्री को दिखाकर सभागार में उपस्थित लोगों को सहज किया।

आशीष ने बताया कि सोच संस्था के माध्यम से ये उनका पहला कार्यक्रम है जिसमें उन्होंने छात्राओ के साथ छात्रों को भी जागरूक किया। आशीष ने आगे बताया कि माहवारी के दौरान कपड़े का प्रयोग करना कितना हानिकारक है उन्होंने बताया कि पीरियड्स के दौरान सेनिटरी नैपकिन के अतिरिक्त मेंस्ट्रुअल कप का भी प्रयोग कर सकते हैं।

सोच संस्था की वालंटियर हिमांशी ने माहवारी के दौरान सेनिटरी नैपकिन को किस तरह से प्रयोग करना है एवं कितने समय के बाद उसे डिस्पोज करना है इस संबंध में जानकारी मुहैया करवाई।

सोच संस्था के कोषाध्यक्ष राहुल ने कहा की हमारा यह कार्यक्रम तब सफल होगा जब यहां मौजूद छात्र घर जाकर अपनी माता और बहन से इस विषय पर खुल कर बात कर पाएं और छात्राएं अपने पिता और भाई से पीरियड्स को लेकर खुलकर बात करें। जिसके बाद उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों से सोच संस्था के लिए सहयोग की अपील का निवेदन किया।

कार्यक्रम के दौरान कई छात्र एवं छात्राओ ने भी अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके घर परिवार में भी इस दौरान महिलाओं के साथ छुआछूत जैसा व्यवहार किया जाता है। आगे से हम भी इस मुहिम में आप लोगो के साथ जुड़ेंगे।

विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहन रावल ने कहा कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रम निरन्तर आयोजित किये जाने चाहिए।

इस दौरान छात्राओं के साथ छात्रों को भी सेनिटरी नैपकिन प्रदान किये गए। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहन रावल, भूपेश पंत, गुरुदेव जोशी, रघुवर जोशी, हिमांशी भंडारी, सुचिता डोबाल, प्रकाश टाकुली, नीरज मिश्रा, निर्मला तुलेरा, नितिन पांडे आदि मौजूद रहे।

क्या निरापद है पैड

सामान्यत: पैड मे बालिकाओं का तनाव कम किया है पर क्या यह एक दम सुरक्षित है , इस विषय पर अब तक जो रिसर्च सामने आई है उसके अनुसार , यदि पैड़ समय पर ना बदला जाय तो यह संक्रमण भी पैदा कर सकता है । यह पर्यावरण के लिये सुरक्षित भी नही है ।इन दिनो मैन्सुवल कप का प्रचलन भी बड़ा है इसे बार -बार उपयोग किया जा सकता है , पर यह कष्टप्रद बताया जाता है । प्राकृतिक नियमों का पालन करना ज्यादा सुरक्षित है -सम्पादक

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