44 total views

अल्मोड़ा  यह घटना किसी जंगल का नही  बल्कि यह शहर मे घटित हो गई, घटना  रात्री की भी नहीहै  दिन व दोपहर की घटना है, अल्मोड़ा के आबादी वाले क्षेत्र मे विवेकानन्द कार्नर के पास मे बिगत दिनो उस समय गुलदार ने एक  मजदूर  के कमरे में  घुसकर उस पर  हमला कर दिया , यदि यह मजदूर ना होकर आम आदमी होता तो  गुलदार को देखकर ही दम तोड देता , पर जीवट मजदूर ने हार नही मानी वह कमरे के भीतर ही गुलदार से भिड़ गया , । पशु विज्ञानी जानवरों की इस प्रबृति से हैरान है तो आम जन भयभीत व परेशान ,।

यह तो गुलदार की कहानी है वह स्वभाव से हू हिंसक है ,पर हरिद्वार के मनसा देवी मन्दिर व चण्ड़ी पर्वतो में वोगो का बैग छीनने वाले , बन्दरों की तरह ही अब अलिमोडे के हर गली रूचें व धार मे फलों के पेडों मे , पनघट मे हरिद्वार की तरह ये बन्दर सामान छीन रहे है । ये बन्दर गुलदाक हमला कर दें जायज है पर इन पर कोई इंन्सान हमला कर दे तो सीधे देल चला जायेगा ,इंसान की ऐसी बेकद्री देखकर बहुत से सयीने लोग कहने लगे है कि अब अफसरों सांसद व बिधायकों  के आवास इन्ही बन्य जीवों के पास  होने चाहिये  , दिस प्रकार इन बिधायिका , कार्यपालिका को विशेषाधिकार  है वैसे ही विशेषाधिकार अब जानवरों को भी प्राप्त हो गये है ,।

भगवान श्रीराम को जब पता चला कि बाली नामक बानरराज  अन्याई है वह अपने ही भाई का  दुष्मन बना है , महाबल शाली है प्रत्यक्ष युद्ध मे उसे हराना असम्भव है तो रामजी ने उस महाउत्पाती  बन्दर को छुप कर मारा था , पर आज के पारा महाराजा व उनके दिवान , यह समझ ही नही पा रहे है कि बाली व सुग्रीव मे क्या अन्तर है , बाली अपादक व सुग्रीव मर्यादित है , बालियों को सजा , व सुग्रीवो को राज्य देना ही विधिसम्मत ब्यवहार है ।

अल्मोड़ा शहर को गुलदार व बन्दरों से मुक्त  करने की मांगे वर्षों से  उठाई जा रही है ।  पर ये तो नही हटे मुहल्ले जरूर खाली हो गये है ,। हर सरकारी कर्मतारी सेवानिबृति के बाद पहाड़ छोड  देना चाहता है उसे डर है कि कही उसका हाल भी इस मजगूर की तरह ना हो जाय।

Leave a Reply

Your email address will not be published.