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अल्मोड़ा , भगवान शिव का कुलंकारी स्वरूप  प्राकृतिक फुटलिंग के साथ ही अब ऐतिहासिक झाकरसैम मन्दिर मे शंकर की बाल स्वरूप की प्रतिमा भी लगेगी , यह जानकारी  देते हुवे झांकरसैम  मन्दिर के पुजारी देवी दत्त पाण्डे़ ने बताया कि भक्तों की मांग पर यह मुर्ति लगाई जा रही है ।

यो तो सैम (कुलंकारी शिव )की प्रतिमा बनाने का कोई विधान नही है , शैम गोरक्षनाथ परम्परा के देव माने जाते है यह समुदाय मूर्ति के शंगार की जगह जागर परम्परा को महत्व देता है, इस परम्परा मे देव शक्तियां अपनी गाथा सुनकर भक्तों के शरीर मे अवतरित होकर उनके कष्टों को दूर करते है ।जहा भी सैम मन्दिर है वहां प्राकृतिक  शैम लिंग( जमीन से उठे हुवे लिंगाकार पत्थर  ) कों राख से श्रंगार कर पूजने की  प्रथा थी , शिव मन्दिर मे बलि प्रथा का निशेष है फिर भी देव डांगरो की पैदल यात्राओं मे मन्दिर के निकट अष्ठबलि देने की  प्रथा थी दो अब समाप्तप्राय: हो गई है । देश भर में शैव  आचार्यों व जागर गायकों की कमी के कारण  पौराणिक  शैव  आचार्यों की कमी भी इन मन्दिरों की पुरानी परम्परा  बनाये रखने मे सम्भवत: अपने को कमजोर महसूस कर रही है , यही कारण है कि अब झांकर सैम मे बैष्णव प्रतिमाओं को लगाने की मन्शा भी पुजारी समुदाय महसूस कर रहा है । यद्यपि शैव भक्तों को शैद्धान्तिक रूव से यह अनुचित लगा ।उन्होंने झांकरसैम मन्दिर मे वैष्णव , राम कृष्ण की प्रतिमा लगाने के बजाय शैव प्रतिमा लगाने व भगवान सैम की पौराणिक गाथाओं पर आधारित संन्देश लगाने की मांग की , इसीक्रम मे मन्दिर के पुजारियों की सहमति से मन्दिर में यह मूर्ति लगाई जा रही है ।

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