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छत्तीसगढ रेड कोरिडोर का एक अहम हिस्सा है मूलत: यह आदिवासी क्षेत्र व नक्सल प्रभावित क्षेत्र है । यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है तथा यहा कोयला समेत कई खनिज प्रचुर मात्रा मे है । सरकार इन खनिजों का औद्योगिक घरानों के सहयोग से दोहन कराना चाहती है पर ये आदिवासी इन इलाकों को छोड़ने के लिये तैयार ही नही है । आदिवासियों की इस भूमि के प्रति अटूट निष्ठा का लाभ तथा भावनात्मक दोहन नक्सल विचारधारा के लोग करते है । वे इन्हें जनयुद्ध , व हिंसा ही नही अपितु भारत की सास्कृतिक आकार -प्रकार , व रहन शहन के प्रति भी उकसाते रहते है । इसी आर्थिक व बैचारिक द्वन्द से प्रभावित होकर नक्सली पुलिस व सैन्य बलों के साथ मुड़भेड़ करते रहते है। जिसकी कीमत गरीब आदिवासियों के साथ ही पुलिस व सैन्य बलों को भी उठानी पड़ती है दन्तेवाड़ा मे एक नक्सली मुडभेड़ में नक्सलियों से लडते हुवे अर्ध सैन्य बल व पुलिस के 11जवान शहीद हो गये । इस घटना के बाद छत्तीसगढ सरकार ने नक्सलियों की धड पकड़ को तेज कर दिया है । तथा छत्तीसगढ सरकार ने मारे गये जवानों के प्रति गहरी संनेदना प्रकट की है तथा मृतको का राजकीय सम्मान के साथ उनके गांवो मे अन्तिम संस्कार किया जा रहा , इस घटना पर गृहमन्त्रालय ने दुख ब्यक्त किया है कथा मृतक आत्माओ व शोक सतृप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना ब्यक्त की है ।

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