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योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा नए विश्व के विकास में योग एवं भारतीय संस्कृति की भूमिका विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन हुए।

अलिमोड़ा अर्थ गङ्गा : संस्कृति, विरासत एवं पर्यटन के अंतर्गत 16 से 18 अप्रैल तक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन हो चुका है। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो ईश्वर भारद्वाज, कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि प्रो सोमवीर आर्या (अमेरिका), प्रो सुरेंद्र त्यागी, प्रो विनोद नौटियाल, कार्यक्रम संयोजक डॉ नवीन भट्ट आदि ने संयुक्त रूप से सेमिनार में दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया। उद्घाटन अवसर पर संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत गाया। योग विज्ञान विभाग द्वारा सभी अतिथियों का बैज अलंकरण कर, शॉल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रो ईश्वर भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में योग, आयुर्वेद एवं यम, नियम, प्रत्याहार आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से हम अपने स्वास्थ्य एवं जीवन शैली को बेहतर बना सकते हैं।
कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में अधिष्ठाता प्रशासन प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ने अपने उद्बोधन में कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग द्वारा प्राचीन भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाया जा रहा है। इस अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में देश एवं विदेशों से आये हुए विद्वान विमर्श कर योग के विभिन्न पहलुओं में चर्चा करेंगे। साथ ही जो भी निष्कर्ष निकलेंगे, वो देश एवं समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। विशिष्ट अतिथि प्रो सोमवीर आर्या (अमेरिका) ने अपने उद्बोधन में योग विज्ञान विभाग की सराहना की। उन्होंने कहा कि योग को जन जन तक ले जाने के लिए योग विज्ञान विभाग का प्रयास सराहनीय है। योग विज्ञान विभाग के प्रयासों से विश्वविद्यालय को नवीन उपलब्धियां मिल रही हैं। उन्होंने योग एवं वर्तमान परिदृश्य पर केंद्रित उद्बोधन दिया। विशिष्ट अतिथि रूप में प्रो सुरेंद्र त्यागी ने कहा व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आना जरूरी है। बिना सकारात्मक हुए हम सफल राष्ट्र बनाने की कल्पना नहीं कर सकते। इसके लिए आवश्यक है कि योग को अपने जीवन में अपनाएं।
विशिष्ट अतिथि प्रो विनोद नौटियाल ने कहा कि योग विज्ञान विभाग ने समाज और राज्यहित में कार्य किया है। भारत की प्राचीन संस्कृति और योग को आगे ले जाने में यह विभाग बहुत तन्मयता के साथ कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम संयोजक डॉ नवीन भट्ट आदि ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह स्वामी विवेकानन्द जी की भूमि है। स्वामी विवेकानन्द जी ने वैदिक ज्ञान और भारत की संस्कृति को लेकर इस भूमि में जो स्वप्न देखा था, उस दिशा में योग विज्ञान विभाग कार्य कर रहा है। योग, वेद, पुराण आदि को लेकर जो निष्कर्ष इस सेमिनार में निकलेगा वो हमारे राज्य के लिए उपयोगी होंगे। उन्होंने योग विज्ञान विभाग के कार्यों की विस्तार से बात रखी। साथ ही उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। इस सेमिनार में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 170 शोध पत्र पढ़े जाएंगे।
उद्घाटन सत्र के उपरांत अलग अलग जगह दो तकनीकी सत्र संचालित हुए। प्रथम तकनीकी सत्र में अध्यक्षता प्रो सरस्वती काला, सह अध्यक्षता प्रो अर्पिता चटर्जी ने की। इस सत्र का संचालन रजनीश जोशी ने किया। द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो आराधना शुक्ला ने अध्यक्षता की एवं सह अध्यक्षता प्रो शीतल राणा ने की और इस सत्र का संचालन मोनिका भेसौड़ा ने की।
तृतीय सत्र में अध्यक्षता प्रो ईश्वर भारद्वाज एवं प्रो सुरेंद्र त्यागी एवं सह अध्यक्षता डॉ भानुप्रकाश जोशी, डॉ घनश्याम ठाकुर ने की। इन सत्रों में दर्जनों शोधपत्रों का वाचन किया गया।
इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में टर्की, अमेरिका, अफ्रीका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, भारत आदि देशों के योग प्रतिनिधियों के साथ योग साधकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के साथ लल्लन सिंह, विद्या नेगी, रजनीश जोशी, विश्वजीत वर्मा, गिरीश अधिकारी, हेमलता अवस्थी, मोनिका भेसौड़ा,डॉ रजनी नौटियाल, डॉ भानुप्रकाश जोशी,डॉ घनश्याम ठाकुर, प्रो एस ए हामिद, प्रो प्रतिमा वशिष्ठ, प्रो रिजवान सिद्धिकी, डॉ सबीहा नाज, चंदन बिष्ट, चंदन लटवाल, डॉ संगीता पवार, डॉ विवेक कुमार, प्रो शेखर चन्द्र जोशी, डॉ नीलम, डॉ महेंद्र मेहरा, डॉ ललित जोशी आदि सहित सैकड़ों विद्यार्थियों ने सहभागिता की।

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