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दुनियां की प्रचीनतम संस्कृति को मिटाने के लिये ब्राह्मणों का मिटना जरूरी है , नास्तिक मत के प्रचारक पेरियार जो कि एक बड़े उद्योगपति थे, वह इस बात से परेशान थे कि उनके कर्मचारी जो ब्राह्मण रहे , कम्पनी मे पूर्ण निष्ठा से काम करते रहे , जब कभी वे और उनके ब्राह्मण कर्मचारी एक साथ किसी संाज मे जाते तो मालिक होकर भी जो सम्मान उन्हें नही मिलता था वह सम्मान उनके अधिनस्थ कर्मचारी को कैसे मिल जाता है । तब उन्होंने महसूस किया कि यह धार्मिक कारणों से हो रहा है , उन्होंने इस सनातन धर्म को मिटाने के लिये ब्राह्मणो पर हमला करना आरम्भ कर दिया इसके लिये अधिकतम संसाधन सरकार , दलित औद्योगिक समुह मिक्की से जुटाृे जाते है । पेरियार का अभियान था जो खूब फल -फूल रहा है । पूर्व प्रधानमन्त्री बी पी सिंह ने मंण्डल आयोग की सिफारिशे लागू कर , अम्बेदकर के जातीयता पर आधारित सुबिधाओं की मांग मे इजाफा कर अम्बेदकर का दायरा बढा कर , पेरियार के ऐदेण्डे के लिये खाद बीज का काम किया । अम्बेदकर नास्तिक नही बुद्ध बने थे , गुरु परम्परा पर विस्वास करना भी आस्तिकता ही है । पेरियार गुरु परम्परा को भी नही मानते थे ।
भारत एक आस्तिक देश है , भारतीय दलितों की भी आस्था भी किसी सवर्ण से कम नही जबकि पेरियार नास्तिक मत के प्रचारक है , पेरियार को आस्तिकता के प्रचारक केवल ब्राह्मण ही नजर आते थे , पादरी मौलवी , बुद्ध उनकी नजर मे आस्तिक या धार्मिक नही है । बर्तमान मे यह ब्राह्मण बिरोध यदि जातीय संघर्ष का स्वरूप ले लो तो आश्चर्य नही होना चाहिये ।भारत सरकार या किसी राज्य सरकार की भी यह मंन्शा नही दिखती कि वह इस संघर्ष को रोंके ।
वर्तमान में पेरियार समर्थक अम्बेदकर के नाम से यह कार्य कर रहे है । ज्यों -ज्यों आरक्षण का दायरा बढता जा रहा है त्यों -त्यों डा. भीमराव अम्बेदकर के समर्थकों का दायरा भी , यह समर्थन किसी बैचारिक धरातल पर नही है , इसका कारण केवल आरक्षण है । ज्यों -ज्यों आरक्षित जातियों का दायरा बढ रहा है सरकारी रोजगार का दायरा घट रहा है । पेरियार समर्थकों का रोजगार से यदि लेना देना होता तो वे निसंन्देह इस पर आवाज उठाते , पर वे अपनी जातीय अकड़ बनाये रखने सनातन संस्कृति को मिटाने व समाज को नास्तिक बनाये रखने के लिये , ब्राह्मण , व कथित ब्राह्मणवाद का बिरोध करते रहते है । पेरियार समर्थक कहते है कि हिन्दु धर्म को केवल 3% प्रतिशत ब्राह्मण चला रहे है , मन्दिरों में इन्हे आरक्षण है ,जो समाप्त होना चाहिये । जबकि सनातन धर्म के मन्दिर , अब ट्रष्टों के अधीन है । इनमें से एक बड़ा हिस्सा सरकार अल्पसंख्यक कल्याण के कार्यों मे खर्च करती है ।
पेरियार की विचारधारा को कम्यूनिष्ठों का भी समर्थन
पेरियार ने सनातन धर्म बिरोध को बैचारिक जमीन प्रदान करने के लिये एक एन जी ओ का समुह खड़ा किया है जिसे कम्युनिष्ट आन्दोलन का भरपूर समर्थन भी मिला है ,यह समुह सरकारों से छूट लेकर टैक्स बचाकर नास्तिकता का प्रचार ही नही उन पर राजनैतिक हमला भी करता है । तथा ब्राह्मण सभ्यता ,संस्कृति,परम्परा का बिरोध इसलिये करता है कि सनातन हिन्दु धर्म इस परम्परा से जुड़ा है सनातन परम्पराओं को मिचाना इस समुह के उद्देश्य है । उसका स्पष्ट मानना है कि जब तक ब्राह्मण वर्ग भारत मे है तब तक सनाकन हिन्दु धर्म को नही मिटाया जा सकता , उदाहरण स्वरूप ऐशिया मे जिस भू – भाग से ब्राह्मण मिट गया नही सनातन धर्म रे माम लेवा तक नही बचे । दुनिया मे कम्युनिष्ट आम्दोलन मे उसी देश को सफलता मिली जहां ब्राह्मण नही थे । अत: पेरियार व कम्युनिष्ट, या इस्लाम व ईशाईयत का आन्दोलन तभी सफल माना जा सकता है। जब ब्राह्मण समाप्त हो , ब्राह्मण ही सनातन धर्म का आधार है ।अत: वर्तमान में सोसियल मीड़िया ब्राह्मण बिरोध से भरा पड़ा है ।