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महिलाओं ने भलेहि चांद पर फतह कायम कर ली हो ,यूद्ध के मैदान मे दुष्मनों को धूल चटा दी हो ,पर आज भी वे समाज में वह मुकाम हासिल नही कर पाई है जो पुरूषों को प्राप्त है घटना उधम सिंह नगर जिले के खटीमा थानाक्षेत्र की है यहां के पचौरिया गांव में एक कलयुगी मां ने अपनी ही कोख से जन्मी बेटी को केवल इसलिए मार डाला क्योंकि उसे बेटा चाहिए था। इस महिला का दिल नही पसीदा इसनेअपने पति के साथ मिलकर एक और साजिश रची बच्चू की गला घोंट कर मार डालने के बाद बच्ची के गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करा दी । महिला का जुर्म साबित होने पर अदालत ने अब इस महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। महिला के पति को भी इसकी साजिश में सहयोग देने,व पुलिस को गुमराह करने, झूठी सूचना देने और सच्चाई छिपाने का आरोप में चार साल कैद की सजा सुनाई गई है।

इस प्रकरण पर सहायक जिला सरकारी वकील सौरभ ओझा ने मीड़िया को बताया कि अतिरिक्त सत्र अदालत ने आरोपी महिला को अपनी नाबालिग बेटी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि सबूत छिपाने के लिए उसके पति को चार साल की जेल की सजा सुनाई गई है। सुनवाई के दौरान आरोपियों के खिलाफ कुल 11 गवाह पेश किए गए।

खटीमा थानाक्षेत्र के तहत आने वाले पचौरिया गांव के विजय कुमार की 19 दिसंबर 2019 को पुलिस थाने मे दर्ज बच्ची के गुमशुदगी की रिपोर्ट में महिला ने पुलिस को बताया था कि उनकी 27 दिन की बेटी प्रियांशी 15 दिसंबर को अपनी मां निशा उर्फ नगमा के साथ सो रही थी। इस दौरान किसी ने प्रियांशी का पहरण कर लियाहै । इस रिपोर्ट के बाद जब पुलिस ने मामले की छानबीन की तो बच्ची का शव शारदा नहर के पास बरामद कर लिया गया। छानबीन में पुलिस ने पाया कि नाबालिग की हत्या के लिए खुद निशा जिम्मेदार थी मां ने ही अपनी बेटी का गला घोंट कर शारदा नहर के पास फेंक दिया था।

अदालत ने निशा को उम्रकैद और उसके पति को चार साल की सजा सुनाई है। अदालत ने इन पर पर क्रमश: 8000 और 4000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है , अब दोनों ही पति पत्नी जुप्माने के साथ ही सलाखों के पीछे भी है ।

घटना पर मनौवैज्ञानिकों का कहना है कि समाज में पुत्र के प्रति बिशेष लगाव के कई सामाजिक व धार्मिक व मनोवैज्ञानिक कारण है । इन कारणों का निदान ही समस्या का निदान है । महिलाओं पर पुत्र जनने का परिवारिक दबाव भी रहता है जिसके चलते अपराध की यह मानसिक अवस्था बन जाती है

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