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महर्षि दयानंद की तपस्थली उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के ग्राम चासी में जहां पर उन्होंने अब से लगभग 150 वर्ष पूर्व 4 माह तक तपस्या की उस विशाल बरगद के पेड़ के नीचे आज भी महर्षी दयानन्द कुटिया बनी हुई है। उस पर कभी कभी अनेकों महात्मा, संत कभी-कभी आकर रुकते हैं, अब आर्य उप प्रतिनिधि सभा बुलंदशहर, कोलकाता से आए हुए योगेश आचार्य जी तथा गुरुकुल राजघाट के आचार्य एवं विद्यार्थियो ने मिलकर कूटी पर 27 एवं 28 दिसंबर 2022 को यज्ञ का आयोजन किया जिसमें बुलंदशहर जिले के विभिन्न आर्य समाज के सदस्यों तक कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया वास्तव में यह ऐतिहासिक जमीन है जहां पर स्वामी जी ने तपस्या की तथा आर्य समाज के लोगों ने इस बात पर चिंता की कि यहां पर लंबे समय से यह वीरान पड़ी हुई है तो इस पर स्वामी जी का कोई स्मारक बने जिससे कि संपूर्ण आर्य समाज के कार्यकर्ताओं देश और विदेश को भी प्रेरणा मिले जहां पर स्वामी जी ने अपने जीवन के चार महा लगातार तपस्या की और उन्होंने यह सिद्ध किया हरिद्वार के मेले में विद्वानों ने तो बड़े ध्यान पूर्वक मुझे सुना लेकिन जनता का रुझान अभी मेरी ओर कम है और इस तपस्या के बाद जब वह देश में भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने देश की जनता के अंदर वैदिक मान्यताओं के प्रति वेद के प्रति अगाध आस्था प्रकट की और समाज को एक नई दिशा दी आज उसी पुण्य भूमि पर यज्ञ का आयोजन हुआ जिसमें अनेक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया जिसमें आर्य समाज नरोरा राजघाट और जिला प्रतिनिधि सभा के कार्यकर्ता आर्य प्रतिनिधि सभा बुलंदशहर के प्रधान निराला जी और उगता भारत के संपादक डॉ राकेश आर्य जी और डॉ वीरेंद्र कुमार प्रोफेसर , वीरेन्द्र सिंह अनूपशहर आर्य समाज और ग्राम प्रधान धर्मेंद्र जी तथा आसपास के गांव के अनेक कार्यकर्ताओं ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया।