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स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिये है कि याचिका रो लुनवाई के लिये हाईकोर्ट में दाखिल किया जा ना चाहिये। प्रकाशित मीड़िया खबरों के अनुसार सोमवार को जोशीमठ मे आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर सुप्रिम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया। एक वकील ने कहा कि लोग मर रहे हैं और पुनर्वास की सख्त जरूरत है।
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद सरस्वती से अपनी याचिका उत्तराखंड हाईकोर्ट में ले जाने को कहा। यह सर्वप्रथम हाईकोर्ट मे सुनवाई के लिये जाना चाहिये । वह हाईकोर्ट को मामले की सुनवाईसुनवाई से वंचित नहीं कर सकता, शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि या तो एक नई याचिका दायर करें या फिर वहां की कार्यवाही में हस्तक्षेप करें
उत्तराखंड सरकार ने दलील दी कि इसके अलावा एक और याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई है और इस बारे में केंद्र व राज्य सरकार ने उनकी सभी प्रार्थनाओं पर अमल किया है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के समक्ष लंबित कार्यवाही में हस्तक्षेप कर सकता है या एक नई याचिका दायर कर सकता है। पीठ ने कहा, “हम हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह उचित डिस्पैच के साथ दायर याचिका पर विचार करे।”
याचिका में तर्क दिया गया है कि मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की जरूरत नहीं है और यदि ऐसा कुछ भी होता है, तो यह राज्य सरकार और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि वह इसे तुरंत रोके।

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