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अल्मोड़ा आतिक्रमण हटाओ अभियान का पूरे प्रदेश में जिस तरह से विरोध हो रहा है और सरकार के खिलाफ एक नकारात्मक माहौल पैदा हो रहा है, इसे देखते हुए सरकारू नीतिगत दखल आवश्यक हो गया है ,काग्रेस इस मुद्दे पर जनता की सहानुभूति अपने साथ जोड़ने की कोशिस कर रही है , ऐसे मे सरकार पर भी दबाव है , ।भारतीय जनता पार्टी का संगठन सरकार को इस अभियान में मध्य मार्ग निकालने की सलाह दे रहा है,।सूत्रों की माने तो इस प्रकरण में संगठन की समझ मे यह आ रही है कि पूर्व में जनपद स्तरीय सड़कों को उत्तराखंड सरकार के एक आदेश ने राज्य स्तरीय सड़क घोषित कर दिया जिससे राज्य सरकार को इन सड़कों के विकास के लिये केन्द्रिय मदद संम्भव हो पाई तथा भारत सड़क माला से लाभ देने के लिये केंद्र सरकार भी सहमत हो गई इसी उद्देश्य से उत्तराखण्ड सरकार ने सभी जनपदीय सड़को को राज्य सड़क के रूप में उच्च कृत किया। जिससे सड़कों के चौड़ाई के मानक बदल गए ऐसे में सैकड़ो की संख्या में वे लोग भी अतिक्रमणकारी घोषित हो गये जिनके मकान जनपद स्तरीय सड़क मार्ग में लगे हुए थे, सूत्रों के अनुसार इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने प्रदेश सरकार को अवगत कराया है कि वह इस मामले का संज्ञान ले ,।
जिस प्रकार सभी पर्वतीय. जनपदों में लोग अतिक्रमण हटाने की राज्य सरकार की कार्यवाही का विरोध कर रहे हैं उसे देखते हुए सरकार मध्य मार्ग निकलने पर विचार कर सकती है ।जिससे उच्च न्यायालय के आदेश के पालन के साथ-साथ जनता को भी राहत मिल सके जनता के विरोध को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं के बयान काफी महत्वपूर्ण है जिसमें कहा जा रहा है की जनता को अतिक्रमण हटाओ अभियान से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है जनपद स्तरीय सड़कों के मानकों में बदलाव के बाद सड़कों की चौड़ाई में जो वृद्धि हुई है उस पर सरकार से संज्ञान लेने को कहा गया है,।
यद्यपि मुख्यमंत्री धामी स्पष्ट कर चुके हैं कि वे अतिक्रमण के लिये किसी भी प्रकार का समझौता करने के पक्ष में नहीं है, किन्तु नैतिक दृष्ठि से उन पर बिचार करने का उत्तरदायित्व भी है । जनता की तरफ से यह मांग उठाई जा रही है कि एन एच तथा राज्य राजमार्ग उन स्थानों में अलग से निर्मित किया जाए जिन स्थान में लोगों के आवास अथवा व्यवसायिक परिसर बन चुके हैं ,सरकार को चाहिए कि वह लिंक सड़कों का विकास कर उन्हे राज्य व स्टेट हाइवे का दर्जा दें ।
सीघ्र ही लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं ऐसे में सूत्र बता रहे हैं की सरकार भी जनता से ज्यादा विरोध मोल लेने के मूड में नहीं है, किन्तु समस्या को टाल देना व समाधान निकालना दो अलग -अलग बातें है ।. काग्रेस सरकार से अध्यादेश लाने की बात कह रही है ।

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