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अल्मोड़ा 28 जून सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा के और सेवा इंटरनेशनल-अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र), नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘इंडो नेपाल रिलेशन्स एंड उत्तराखंड इंडिया:शेयर्ड हिस्ट्री एंड कल्चर’ विषयक तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन भारत नेपाल के समाज एवं संस्कृति पर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग,एसएसजे परिसर में देशी-विदेशी शोधकों ने शोध पत्रों का वाचन किया।

ोविवेकानंद पर्वतीय अनुसंधान संस्थान में संचालित हुए समानांतर सत्रों में यू.एस.ए के प्रो. बरनार्डो ए माइकल ने अध्यक्षता की और प्रो. माहेश्वर प्रसाद जोशी, डॉ रितेश साह, डॉ वासुदेव पांडे ने शोध पत्र पढ़े। डॉ रितेश साह ने गोरखाराज के क्रूर प्रकाश डालते हुए व्याप्त अवधारणा को तोड़ने का प्रयास किया। प्रो एम एम जोशी ने गोरखाकाल की चिट्ठी पर प्रकाश डालकर कुमाऊं के ब्राह्मण परिवार और गोरखाओं के सोहार्दयपूर्ण संबंधों पर शोध पत्र पढ़ा। डॉ वासुदेव पांडे ने गोरखाकाल के अभिलेखों के द्वारा भारत और नेपाल के बीच साझा संस्कृति को प्रस्तुत किया।
अन्य सत्र में प्रो माधव पी पोखरेल ने अध्यक्षता की और प्रो विदुर चालीसे ने विभिन्न काल के अभिलेखों के माध्यम से व्याकरण पक्ष पर शोध प्रस्तुति दी। डॉ शैलजा पोखरेल, डॉ भोजराज गौतम ने भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, भाषिक, ऐतिहासिक पक्ष पर शोधपत्र पढ़े। इस सत्र में नेपाल के विद्वान प्रो माधव पी पोखरेल ने कहा कि भारत में मैकाले की शिक्षा पद्धत्ति ने शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। अंग्रेज चले गए हैं और हम काले अंग्रेजों का उत्पादन कर रहे हैं। भारत और नेपाल को मिलकर अपनी भाषा-संस्कृति को मिलकर बचाने का प्रयास करना चाहिए। नेपाल के संविधान के अनुसार नेपाल मे 123 राष्ट्रीय भाषा हैं। वहां की सरकारी भाषा नेपाली है। हम नेपाली में व्यवहार करते हैं।
उधर वानिकी एवं पर्यावरण अध्ययन विभाग में चले दूसरे दिन के प्रथम सत्र में अध्यक्ष रूप में डॉ संदीप बड़ौनी और रिपोरटियर डॉ रविन्द्र पाठक तथा दूसरे सत्र में डॉ अश्विनी अस्थाना अध्यक्ष और रिपोर्टिंयर डॉ गोकुल देवपा और तीसरे सत्र में अध्यक्ष प्रो अरविंद अधिकारी और रिपोर्टियर डॉ नंदन बिष्ट रहे। इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र प्रशासन प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट अतिथि रूप में शामिल रहे।
एसएसजे में संचालित सत्रों में आयोजक सचिव प्रो विद्याधर सिंह नेगी ने सेमिनार के सत्र की रूपरेखा प्रस्तुत की। विभिन्न सत्रों में डॉ अश्विनी अस्थाना ने ‘गलिम्सेस ऑफ डीप रूटेड हिस्टोरिकल एंड आर्किओलॉजिकल इंडो-नेपाल रिलेशनशिप विषय पर, प्रो अनिल कुमार जोशी (संकायाध्यक्ष, कला) ने कैपिबुलेशन ऑफ़ अल्मोड़ा इन 1815 एंड इट्स रामिफिकेशन्स विषय पर, विशेषज्ञ डॉ संदीप बड़ौनी और डॉ भगवान सिंह धामी ने कार्नोलॉजी एंड इवेंट्स ऑफ गोरखा इनरेशन ऑफ 1789-92 इन डोटी, कुमाऊं एंड गढ़वाल विषय पर शोध पत्र पढ़कर गोरखा शासन से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
इन सत्रों में विदेशों से आये हुए वासुदेवा बिष्ट, मोहन प्रसाद बिष्ट, डॉ निहार नायक, डॉ शैलजा पोखरेल, प्रो संगीता थपलियाल,डॉ हरक बहादुर शाही, नारायणी भट्ट आदि ने शोध पत्रों का वाचन किया।
दोनों स्थानों पर आयोजित हुए सत्रों में डॉ चंद्र प्रकाश फूलोरिया, डॉ लवी त्यागी (अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र), नई दिल्ली), डॉ राकेश साह, प्रो एम एम जोशी, डॉ भोजराज गौतम, डॉ रमेश खत्री, डॉ स्वेता सिंह, डॉ रीतू चौधरी, श्री राजेन्द्र सिंह रावल, प्रो इला साह, प्रो निर्मला पंत, डॉ ललित जोशी,डॉ गोकुल देवपा, दिनेश पटेल, डॉ ललित जोशी मौजूद रहे।

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