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कांग्रेस ने देश में 65 साल शासन किया पाच वर्ष बापेई की सरकार रही अब अब मोदी के नेतृत्व में बी जे पी की सरकार को भी आठ वर्ष पूर्ण हो चुके है अब तक भारत में जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है वह विवादों के घेरे में है । इनंमें से कुछ बिन्दु बेहद ही विचारणीय है जिसमें कही जाता है कि वैदिक काल में विशिष्ट अतिथियों के लिए गोमांस परोसा जाना सम्मान सूचक माना जाता था। यह कक्षा 6 की प्राचीन भारत, पुस्तक के पृष्ठ 35, पर लिखा गया है इसकी लेखिका-रोमिला थापर है । जबकि सच्चाई यह है कि अतिथियों के आने पर गौरस यानि , घी , दूध , दही खीर आदि गोदुग्ध से बने पकवान परोसना सम्मान का प्रतीक माना जाता था , गोरस को मांस के रूप मे अब भी पढाया जा रहा है ।

इसी प्रकार लिखा गया है कि महमूद गजनवी ने मूर्तियों को तोड़ा, इससे वह धार्मिक नेता बन गया !यह कथन कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28 पर लिथय़खा गया है जबकि सच्चाई ृह है कि नह एक आक्रमण कारी था ना कि धार्मिक नेता गजनी मे उसकी क्या छवि बनी यह भारत के लिये महत्वपूर्ण नही है , भारत देश रे लिये वह एक लुटेरा था यह तत्थ्य छुपा कर उसे धार्मिक नेता पढाया जा रहा है । 1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक सैनिक विद्रोह था। कक्षा 8-सामाजिक विज्ञान भाग-1 सत्य यह है कि यह एक जन विद्रोह भी था इसंे फकीर व सन्यासी भी थे ष

महावीर 12 वर्षों तक जहां-तहां भटकते रहे। 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार भी अपने वस्त्र नहीं बदले। यह कैसे पता लगा 42 वर्ष की आयु में उन्होंने वस्त्र का एकदम त्याग कर दिया।
(कक्षा 11, प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा) यद्यपि आज भी जैन साधु वस्त्र नही पहनते । पर 12 वर्षों तक भचकते रहे यह काल्पनिक बात है

तीर्थंकर जो अधिकतर मध्य गंगा के मैदान में उत्पन्न हुए और जिन्होंने बिहार में निर्वाण प्राप्त किया, की मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने के लिए गढ़ ली गई। (कक्षा 11-प्राचीन भारत,
पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)

जाटों ने गरीब हो या धनी, जागीरदार हो या किसान, हिन्दू हो या मुसलमान सबको लूटा। (कक्षा 12-आधुनिक भारत,
पृष्ठ 18-19, विपिन चन्द्र)

रणजीत सिंह अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों की धूल अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था। (कक्षा 12 -पृष्ठ 20, विपिन चन्द्र)

आर्य समाज ने हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों, सिखों और ईसाइयों के बीच पनप रही राष्ट्रीय एकता को भंग करने का प्रयास किया। (कक्षा 12-आधुनिक भारत,
पृष्ठ 183, लेखक-विपिन चन्द्र)

तिलक, अरविन्द घोष, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय जैसे नेता उग्रवादी तथा आतंकवादी थे ! (कक्षा 12-आधुनिक भारत-विपिन चन्द्र, पृष्ठ 208)

400 वर्ष ईसा पूर्व अयोध्या का कोई अस्तित्व नहीं था। महाभारत और रामायण कल्पित महाकाव्य हैं। (कक्षा 11, पृष्ठ 107, मध्यकालीन इतिहास, आर.एस. शर्मा)

वीर पृथ्वीराज चौहान मैदान छोड़कर भाग गया और गद्दार जयचन्द गोरी के खिलाफ युद्धभूमि में लड़ते हुए मारा गया।
(कक्षा 11, मध्यकालीन भारत,
प्रो. सतीश चन्द्र)

औरंगजेब जिन्दा पीर थे।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 316,
लेखक-प्रो. सतीश चन्द्र)

राम और कृष्ण का कोई अस्तित्व ही नहीं था। वे केवल काल्पनिक कहानियां हैं।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 245,
रोमिला थापर)
ऐसी और भी बहुत सी आपत्तिजनक बाते आपको एन.सी.आर.टी. की किताबों में पढ़ने को मिल जायेंगी, इन किताबों में जो छापा जा रहा हैं उनमें रोमिला थापर जैसी लेखको ने मुसलमानों द्वारा धर्म के नाम पर हिन्दुओं के ऊपर किये गये भयानक अत्याचारों को गायब कर दिया है !
नकली धर्मनिरपेक्षतावादी नेताओं की शह पर झूठा इतिहास लिखकर एक समुदाय की हिंसक मानसिकता पर जानबूझकर पर्दा ड़ाला जा रहा है !
इन भयानक अत्याचारों को सदियों से चली आ रही गंगा जमुनी संस्कृति, अनेकता में एकता और धार्मिक सहिष्णुता बताकर नौजवान पीढ़ी को धोखा दिया जा रहा है, उन्हें अंधकार में रखा जा रहा है। सोचने का विषय है कि आखिर किसके दबाव में सत्य को छिपाया अथवा तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता रहा है ? पर ना तो तब की सरकार ने इस पर ध्यान दिया ना ही अब की सरकार ध्यान दे रही है।

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