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भारत मे सनातन धर्म के मठ मन्दिर सरकार की कमाई का जरिया बन गये है ,एक घटनाक्रम के अनुसार ज्योतिष मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती को सरकार ने प्रोटोकौल समझाकर केदारनाथ मन्दिर के कपाट खोलते समय मन्दिर जाने से यह कह कर रोक दिया कि उनका प्रवेश प्रोटोकौल के तहत नही है ।

इसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने शंकराचार्य समाधि स्थल मे डेरा डाल दिया , किन्तु वहा समाधि स्थल मे साफ सफाई को वेकर जब शंकराचार्य मे सवाल उठाये तो अधिकारियों ने उन्हे सफाई कराने का आस्वासन दिया ।

समय का पहिया बड़ी तेजी से घूम रहा है । एक समय था जब साधु सन्त आगे राजनेता पीछे होते थे, अब राजनेता आगे व साधु सन्त तथा धर्माचार्य पीछे छूटते जा रहे है , , धर्म की ब्याख्याये धर्माचार्य नही बल्कि राजनेता कर रहे है वे लोगों को उनकी धार्मिक मान्यता के आधार पर बता रहे है कि उनका धर्म व जाति के अधिकार खतरे मे है । लोग एक गूसरे को शंका आशंका की नजर से देखने लगे है तथा एक दूसरे पर हमलावर भी हो रहे है । जातीय , धार्मिक सामप्रदायिक द्वन्द समाज मे हावी हो गये है धर्माचार्य आहत हो रहे है ।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि वह सरकारी ब्यवस्था में हस्तक्षेप नही करना चाहते अब जब प्रोटोकौल होगा तभी वे केदारनाथ मन्दिर जायेंगे ।

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