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अल्मोड़ा अपनी सास्कृतिक विरासत को सहेजने के लिये बिख्यात है यहां की पारम्परिक बैठकी होली किसी राजदरबार की गायकी की शान से कम नही हा , वर्तमान मे हालिऊड़ , बालीऊड की संस्कृति रे बीच यह पारम्ररिक गायन शाली आज भी जीवित है ,लोग इसका आनन्द भी ले रहे है
पूस के प्रति रविवार को आयोजित कुमाऊनी बैठकी होली शिवरात्री के बाद पूरे सबाब पर आ जाती है । शिवरात्री के बाद पन्द्रह दिनों तक यानि छलेड़ी के पूर्व दिन तक होलीर विभिन्न रागों मे होली गाते है । बदलते समय के साथ अब नये होलियार कम ही आ रहे है , पर परम्परा अभी कायम है ।