अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में शोध पाठ्यक्रम के दौरान विवि की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो विजयारानी ढ़ौड़ियाल ने शोध प्रारूप (सिनोप्सिस) की वैज्ञानिक विधि और पाठ्यक्रम को पढाने मे सहायक उपकरण निर्माण के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
शिक्षा संकाय की स्मार्ट कक्षा में आयोजित अतिथि व्याख्यान में शिक्षाविद् प्रो विजयारानी ढ़ौडियाल ने शोधार्थियों को बताया कि शोध प्रारूप शोध का आधार दस्तावेज होता है। उन्होनें बताया कि सही प्रारूप ऐसा ही होता है जैसा भवन की नींव रखने पर ध्यान दिया जाता है । इसलिए शोधकर्ता को वैज्ञानिक विधियों की बारीकियों से अवगत होना चाहिए। शोध कार्य मे प्रस्तावना, शोध का महत्व, शोध कथन, ब्यावहारिकता परिभाषा, शोध का सीमांकन के साथ साहित्य की समिक्षा का काफी अहम योगदान होता है। उन्होंने कहा कि शोध प्रारूप शोध को दिशा देने का काम करता है। वहीं, उनके द्वारा उपकरण निर्माण के विविध आयामों के बारे में भी जानकारी दी गई। कहा कि उपकरण निर्माण में सबसे अहम उपकरण की वैधानिकता विश्वसनीयता, मानकीकृत एवं विभेदन क्षमता का होना अति आवश्यकीय है। इससे पहले विभागाध्यक्ष डाॅ रिजवाना सिद्दीकी ने प्रो वीआर ढ़ौडियाल का अभिनंदन किया। इस मौके पर विभागाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल, डॉ रिजवाना सिद्दीकी, डॉ नीलम, पुष्पा, कुंदन लटवाल, पूजा पाठक, चंद्रा बिष्ट, योगेश जोशी, अविना शील, मनदीप, मनीषा, सोनी, विनोद कुमार आदि मौजूद रहे।