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रविंद्र जडेजा की पत्नी का पैर छूना.. देश मे इतना ब़़ा मुद्दा बन गया कि इसके बिरोध मे एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र को इसके खिलाफ संपादकीय पेज मे निन्दा लिखनी पड़ गई
देश मे इस बात को लेकर एक बहस छिड़ गई है कि क्या पत्नी को अपने पति के पांव छूने चाहिये , । यदि शास्त्रीय मर्यादा की बात करें तो पति व पत्नी दोनों ही जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये है इसमे छोटा या बड़ा कोई नही । किन्तु यदि जीवन को गतिशील बनाने की बात करें तो दोनों मे से किसी एक को आगे का टायर बनना पडता है जिसके सहारे गाड़ी या जीवन गतिमान होता है । कार्य संचालन की पहल करने वाला स्वभावत: बढत बना ही लेता है, पति या पत्नी मे से कोई ना कोई किसी ना किसी से प्रभावित होता ही है ,इस दृष्ठि से यदि पति या पत्नी एक दूसरे के सम्मान मे कोई शिष्ठ या सभ्य ब्यावहार करते है तो इसे गलत नही कहा जा सकता , जबसे क्रिकेट खिलाड़ी रविन्द्र जडेजा की पत्नी ने अपने पति के पैर सार्वजनिक रूप से छुए, तो यह प्रकरण चर्चा का बिषय बन गया ,एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ने तो पैर छूने की निन्दा करते हुवे इसे नारियो का अपमान तक कह डाला ,जबकि दूसरी तरफ इसे अन्य लोगों ने समस्त भारतीयों को अपनी ढल रही संस्कृति और सभ्यता पर गर्व की प्रस्तूति माना ।और सर्वत्र इसकी सराहना भी की जा रही है।
लेकिन आश्चर्य की बात है कि भारतीय संस्कृति, संस्कार के ब्यावहारो को लेकर भारत का एक फ्रस्ट्रेट समुदाय व लेखक वर्ग बौखलाने लगा है वह कह रहा है कि जड़ेजा की पत्नी का उनके पैर छूना नारियें का अपमान है , भारतीय शास्त्रीय परम्परा मे नारी का स्थान हृदय मे है मम् ह्रदयं ते , यदि पत्नी उम्र मे छोटी होने या भाउकता के कारण पैर छू ले तो पति को उसे गले लगा लेना चाहिये ।यह एक दूसरे के प्रति सम्मान ब्यक्त करने का तरीका है , इसमे ऊँच या नीच का भाव नही अपितु प्रेम पाना बड़ा कारण है । यह लेखक वर्ग आम लोगों की नजर मे अपमानित होने के बाद अब भारतीय संस्कृति व परम्पराओं के खिलाफ दुष्प्रचार के सैकड़ो वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद भी यदि लोक मन से इन परम्पराओं को नही मिटा पाया ,यदि ये संस्कार अब भी जीवित है तो इसके जीवन्त होने के पीछे अपने के ये कथित प्रगतिशील मानने वाले लेखक इसे ब्राह्मणबाद की देन मानते है , अब तो सारा ही आक्रमण ब्राह्मणों पर किया जा रहा है पिछले 100 साल से किए गए दुष्प्रचार के नतीजे शुन्य है, परिणाम यह है कि अब वह इस संस्कृति की पोषक पुस्तक , साहित्य , व परम्पराओं पर आक्रमण और तेजी से करने लगे है ,पर इसके बाद भी नैतिक मूल्य जिन्दा ही नही बल्कि इनका प्रभाव वैश्विक होने लगा है । अब इन कथित प्रगतिशील लोगों ने मान लिया है कि जब तक ब्राह्मणवादी संस्कृति है वे इसे नही मिटा सकते इसलिये ब्राह्मणों को मिटाना जरूरी है , ।इस देश मे इस संस्कृति को मिटाने के कई प्रयाश हो चुके है , विदेशी आक्रमण , सनातन साहित्य पर प्रहार ,वेदों पर भ्रान्ति फैलाते हुवे कहा गया कि वेद ग्वालों के गीत है , प्रतिवर्ष चतुष्वर्ण की ब्याख्याता पुस्तक मनु स्मृति का दहन ,सनातन देवी व देवताओ का अपमान व संस्कार सभ्यता परम्परा को रूढि बताया जाना इसके बाद भी इनके सब प्रयास बिफल है , पर एक प्रयास जो इनका सफल है वह है ब्राह्मणों को मिटा देना अरब देशों से लेकर कश्मीर तक ये सफल हो चुके है । जिस दिन ब्राह्मण मिट गया उस दिन दुनिया से सनातन सस्कृति मिट जायेगी ।
जडेजा की पत्नी का अपने पति के पैर छूने की घटना के बाद आजकल सोसियल मीड़िया मे बहस छिड़ी हुई है ,बहुत से लोग बड़े गर्व से कह रहे हैं कि मैंने तो अपनी पत्नी को पैर छूने से मना कर दिया था । यनि पत्नी पर मनमानी , और वह तबसे मेरे पैर नहीं छूती है । यह लोग कई दशकों से नारी चिंतन, नारी विमर्श, नारी अधिकार व नारी सम्मान आदि का रोना रोते रहे हैं, तो फिर बताएं कि वे किस अधिकार के साथ अपनी पत्नी को पैर छूने से मना करते हैं यदि भाऊक होकर पत्नी पैर छुवे तो उसका पैर छूना क्या गलत है । ऐसे ही जब पत्नी अपने पति के सम्मान मे करवा चौथ के व्रत , या वट सावित्री ब्रत रखती है ते वह उसकी निजि आस्था प्रेम जताने का एक तरीका है इस पर भी आपत्ति जताने वालों की कमी नही है अपनी पत्नी को व्रत लेने से मना करना कुछ लोग बहुत बडी काम समझते है। क्या यहां पर आपकी पत्नी या एक नारी को यह भी अधिकार नहीं है कि वह अपनी इच्छा से अपने पति का या बड़ों का पैर छुए या व्रत रखे, मतलब की सब कुछ आपकी इच्छा से ही होगा । हां इस बात का सदैव समर्थन होनी चाहिये कि यह कार्य जबरन नही होने चाहिये नारी का शोषण नहीं होना चाहिए और यदि वह नहीं चाहती है, उसकी इच्छा नहीं है, तो उसको जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए और आज कोई कर भी नहीं सकता है। लेकिन रात दिन नारी चिंतन नारी विमर्श अधिकार का रोना रोने वाले मित्रगण कम से कम अपनी पत्नियों की भावनाओं का सम्मान करना सीखें और यदि वह अपनी धार्मिक परंपरा, भारतीय संस्कृति और मायके से मिले हुए संस्कारों को निभा रही है, तो इसमे गल्ती कहां है पर जबरन ऐसा करने के लिये दबीव डालना गलत है पत्नी का स्थान पैरो मे नही दिल मे है ।