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नवरात्री की अष्टमी  क आद गेनालयों मे भक्तों री भीड़ देखी गई । बड़ी संख्या में भकंत जन मन्दिरो मे गये ,

नवरात्री सृष्ठि संम्वत के बाद के नौ दिनों की एक आध्यात्मिक यात्रा है ।  इस यात्रा मे भक्ति उपासना चिकित्सा का एक समन्यवय स्थापित किया जाता है । यह सर्वविदित है कि  मौसम   नवरात्री सृष्ठि संम्वत के बाद के नौ दिनों की एक आध्यात्मिक यात्रा है ।  इस यात्रा मे भक्ति उपासना चिकित्सा का एक समन्यवय स्थापित किया जाता है । यह सर्वविदित है कि  मौसम  परिवर्तन का हमारे  मन मस्तिष्क व स्वास्थ  पर  सकारात्मक व नकारात्मक  प्रभाव पडता है । इसके नकारात्मक प्रभाव को कम  करने के लिये  नवरात्री  यनि नौ दिवसो का एक मानसिक शारिरिक  साधना व उपचार की प्रकिया है । अल्पाहार से शरीर सुद्धि , होती है  आध्यात्मिक उपासना से मन की शुद्धि होती है ।  तन व मन की शुद्धि से कायाकल्प करना नवरात्री का उद्देश्य है ।  जिससे कई प्रकार के रोग दूर  हो जाते है  ,

नश्यन्ति व्याधय: सर्वे लूताविस्फोटकादय: । स्थावरं जड्गमं चैव कृतिम चापि यद्विषम्    

यनि  प्रकृति रूपी जगदम्पा की उपासना तथा उसके अनुपूप आचरण करने से  मकरी, चेचक ,कोढ , आदि ब्याधिया  नस्ट हो जाती है । कनेर भांग अफीम  धतूरे आदि का  स्थावर बिष ,साप व बिच्छु बिष  के असर कम हो  जाता है ।

नव रात्र में नौ दिनों तक जो कोई भी साधक लगातार नौ दिनो तक दुर्गा कवच धाऱण करते है  उन पर किसी  अनिस्टकारक शक्कियों का प्रभाव नही पड़ता 

ग्रह भूत पिशाचास्च यक्षगन्धर्वाराक्षसा:  ब्रह्म राक्षसबेताला:कुष्माण्ड़ा भैरवादय: ।

गृह, भूत प्रेत  पिचास , कोई और नही घर परिवार  , वातावरण,  खान पान ,ब्यवहार ,से उत्पन्न ब्याधियां है जो किसी साधक  के मनोबल बढने से दूर हो जाती है । आध्याक्मिक बल एक असाधारण बल है  इसे  ग्रहण करने वाला साधक  ब्याधियों से दूर रहता है ।   

देहान्ते परमं स्थानं यत्सरैरपि दुर्लभम .प्राप्नोति पुरषो नित्यम्  महामायप्रसादत:  ,

साधक अपनी साधना वा आध्यात्म के बल पर मोक्ष को प्राप्त होता है मोक्ष की कल्पना सनातन धर्म मे जन्म व मृत्यु से मुक्ति के रूप मे कल्पित है । आध्यात्मिक साधक इस जन्म मॊत्यु के बन्धन से मुक्त हो जाता है ।

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