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देश के जाने माने पत्रकार हरीश चन्दौला का निधन हो गया उनके निधन पर प्रतिक्रिृा ब्यक्त करते हुवे उत्तपाऱण्ड लोक वाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने कहा कि उनके निधन से पत्रकारिता का उत्तराखंड और देश का नुकसान ही नही हुवा बल्कि यह उनके लिये व्यक्तिगत क्षति भी हरीश चन्दौला के पास देश दुनिया की पत्रकारिता राजनीति व समाज की पिछले 80 से ज्यादा वर्षों की स्मृति व धरोहर थी । उसमें से कुछ तो वे लिख गए पर बहुत कुछ लिखना अभी बाकी रह गया।
हरीश चन्दौला ने भारतीय राजनीति की चार पीढ़ियों के वरिष्ट नेताओं को करीब से देखा समझा था। नेहरू जी के कुछ किस्से उनकी पुस्तक में आए हैं । इंदिरा गांधी राजीव गांधी हेमवती नंदन बहुगुणा से लेकर उस दौर के तमाम नेताओं से उनका निजी संबंध परिचय रहा ।
दुनिया भर के युद्धों की रिपोर्टिंग उन्होंने एन युद्ध के मैदानों से कीथा । वियत नाम युद्ध हो अथवा कांगों का युद्ध या फिर ईरान ईराक के सभी संघर्ष उम्बोंने कवर किृे थे युद्ध की पत्रकारिता पर पूछने पर वे कोई विशेष महत्व इसे नहीं देते कि पत्रकारिता तो पत्रकारिता है । खतरों को वे सहज जीवन का हिस्सा मानते रहे ।
राजीव लोचन साह उनका स्मरण करते हुवे कहते है कि उत्तराखंड आंदोलन के दौर में हम एक पत्रिका प्रकाशित करते थे। वे उसमें नियमित लिखते। उत्तराखंड के देश के तमाम छोटे पत्रों पत्रिकाओं को नियमित वे भेजते । किसी को ना कहना उनकी आदत में न था। आंदोलन में सक्रिय भागीदारी भी उनकी रही । हर आंदोलन बैठक में , यदि उन्हें सूचना हो तो वे वहां होंगे। समय और दूरी की परवाह किए बगैर ।
50 के दशक में तिब्बत की पैदल दो दो यात्राएं उनकी पत्रकारिता की विशिष्ठ पहचान व उपलब्धि हैं । तभी जोशीमठ के नीति व माणा दोनो दर्रों से अलग अलग वे तिब्बत गए। उसके अनुभव हमारी धरोहर हैं ।
उनकी नागालैंड के अनुभवों पर लिखी पुस्तक नागालिम की कथाएं नागा इतिहास समाज और नागा आंदोलन को भीतर से समझने के लिए जरूरी दस्तावेज है । एक पुस्तक अभी प्रकाशित होनी है जिस पर वे काम कर रहे थे । तभी लंबी बीमारी ने उन्हें काम से रोक लिया। तब भी जरा सा स्वस्थ होने पर वे काम पर लग जाते।
पिछले 30 सालों में जाने क्या क्या न उनके साथ से जाना समझा वही अब हिस्सा है .हरीश चन्दोला को देश विदेश व उत्तराखण्ड़ के कई लोगों मे अपनी श्रद्धान्जली दी है जिसमे पाजीव लोचन लाह के अलावा दयाकृष्ण काण्ड़पाल ,पूरन चन्द्र तिवारी अजय मित्र , भा क पा माले के इन्द्रेश मैखुरी , जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति के अतुल सती , आदि शामिल रहे