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जब रामनाम से ही बोट मिल जाते हो तो हर उत्सव के साथ राम का नाम क्यों ना जोड़ दिया जाय आजकल यही परिपाटी चल रही है यदि देखा जाय तो दीपावली पर्व शुद्ध रूप से सामाजिक एवं भौगोलिक पर्व है जैसा कि सनातन धर्म मे यह होता आया है हर पर्व का कोई ना कोई अर्थ जरूर है यह एक ऐसा पक्व है जिसे द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण पांडव कौरव सब मनाया करते थे। त्रेता युग में भगवान राम और राम के पूर्वज भी मनाया करते थे और इससे पहले भी सतयुग में भी उसको मनाया जाता था। इससे स्पष्ठ होता है कि इस पर्ल का राम के अयोध्या आगमन से कोई लेना देना नही है । दीपावली का वास्तविक नाम है “शारदीय नवसस्येष्टि पर्व” जिसका अर्थ है “शरद ऋतु में आई हुई फसल का यज्ञ” भारत एक कृर्षि पंरधान देश है कृर्षि उत्पादों से यज्ञ व इसका ब्यापार इस त्योहार का अर्थ है , अर्थात् खरीफ की फसल तिलहन, दलहन, अनाज यथा धान, मक्का, चना, मसूर, जौ, उड़द, सोयाबीन, अरहर आदी का प्रेम से स्वागत करना, पूजा करना, सबसे पहले इन नई फसलों को प्राप्त करने के बाद इसे देवताओं को यज्ञ आहुति से भोग लगाना क्योंकु अग्नि देवताओं का मुख है। अग्नि को दी हुई आहुति सभी देवताओं को प्राप्त होती है। इससे सभी ३३ प्रकार / कोटी देवता हमारा कल्याण करते हैं जिनमें पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश सूर्य चन्द्र नक्षत्र आदि। हमारी संस्कृति त्याग और दान की संस्कृति है। फिर हम उस नई फसल से नए-नए पकवान खीर, हलवा, मिठाई लड्डू बताशा आदि बनाएं। अपने माता-पिता, गुरु- आचार्य, बड़े-बुजुर्ग, रिश्तेदार, असहाय, निर्बल, अनाथ, हमारे सेवक, कर्मचारी, पड़ोसी, हमारे रक्षक पुलिस, सेना को देकर यथायोग्य ग्रहण करें। सामाजिक स्तर पर कर्म के अनुसार किसान और व्यापारी इस पृथ्वी पर समृद्धि लाते हैं और अभाव को दूर करते हैं इनका कार्य ही यही है-

पशुनां रक्षणं दानं इज्याsध्ययनमेव च।
वणिक् पथं कुसीदं च वैश्यस्य कृषिमेव च।।

अर्थ – पशुओं का पालन एवं रक्षण तथा दान देना, यज्ञ करना, स्वाध्याय करना इस नियमित अङ्ग और व्यापार- वस्तुओं का आयात निर्यात और पैसों का निवेश करना यह व्यापारी एवं किसान के कार्य है।परंतु किसान की उपेक्षा करके कभी किसी समाज की शुभ दीपावली नहीं होती है। लक्ष्मी का अर्थ क्या है? नोट करेंसी? नहीं। जब नोट नहीं थे तब लक्ष्मी नहीं थी क्या? थी। तब तांबे, सोने, चांदी के सिक्के चलते थे। एक समय ऐसा भी था जब सिक्के नहीं थे तब क्या लक्ष्मी नहीं थी? अवश्य थी। फिर लक्ष्मी क्या है लक्ष्मी है धान, अनाज। यही विशुद्ध रूप से लक्ष्मी है और इस लक्ष्मी को देने वाला किसान है। आइए! इस दीपावली में आसपास के गरीब किसानों का संबल बने उनके पास जायें उनके उत्पाद खरीदे जरूरत मन्द लोगो तक पहुचाये गौ के लिये दान करे , हो सके उनके बच्चों को मिठाई कपड़ा इत्यादि दें।यही दीपीवली का महत्व है।

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