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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक फैसलेमें कहा है कि ऐसिड़ से किसी महिला की जिन्दगी को खराब कर देना एक गंम्भीर आरोप है , न्यायालय ने एक एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया इस निर्णय के अनुसार पीडिता को ₹35,00,000/=(पैंतीस लाख)रुपए का मुआवजा राशि देना होंगा ।वरिष्ठ न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ द्वारा एसिड अटैक की पीड़िता को दी गई इतनी बड़ी मुआवजा धनराशि को देश में सबसे बड़ा भी माना जा रहा है।मामले के अनुसार, उधम सिंह नगर जिले के जसपुर में 29 नवंबर 2014 में 12वीं कक्षा में पड़ने वाली गुलनाज खान को एक तरफा प्रेमी ने प्रस्ताव ठुकराए जाने से नाराज होकर एसिड फैंक, घायल कर दिया था। पीड़ित का दाहिना कान पूरी तरह से खराब हुआ, दूसरे कान की 50 प्रतिशत सुनने की क्षमता खत्म हो गई, उसके चेहरे, छाती और हाथ समेत ऊपरी शरीर में गंभीर नुकसान पहुंचा था आरोपी को इस घिनौने कृत्य की जगह, एक अलग केस में सजा हुई।
राज्य सरकार को देनी होंगी यह राशिं
पीड़िता गुलनाज़ की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने बताया कि उनकी मुवक्किल ने वर्ष 2019 में न्यायालय से प्रार्थना कर पूछा था कि इस जघन्य अपराध की प्रतिपूर्ति क्या राज्य सरकार द्वारा हो सकती है, जो उनकी सुरक्षा और इज्जत से जीने के अधिकार को बनाए रखने में सक्षम है ?सरकारी तर्कों का विरोध करते हुए स्निग्धा ने न्यायालय से कहा कि एक एसिड पीड़िता के मामले में उचित मुआवजा नहीं दिया जारहा जबकि राजनीतिक मामलों में सरकार करोड़ों रुपये लुटा देती हैI स्निग्धा ने ये भी कहा कि एक पीड़िता की इज्जत, उसकी पूरी जिंदगी भर जिस तरीके से उसको इस साए में रहना पड़ेगा उसकी प्रतिपूर्ति होनी चाहिए एकलपीठ ने सरकार से पैंतीस लाख रुपये के मुआवजे के साथ ही पीड़ित पर हुए चिकित्सा और उनकी सर्जरी के व्यय के रुपये राज्य सरकार से देने को कहा है