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जब से दुनिया मे अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस अस्तित्व मे आया है , योग के नाम पर कुछ नये -नये अविष्कार होने लगे है , आसनों के नाम पर शरीर को तरह -तरह से मोडना योग के रूप मे प्रस्तुत किया जा रहा है । योग का अर्थ है जुड़ाव , आशन का मतलब है इसके लिये सहज होने की स्तिथि पर , वर्तमान मे योग के नाम पर जो कुछ भी सिखाया व पढाया जा रहा है वह एक उत्पाद के रूप मे बाजार मे आ रहा है । यहां योग के गलेमर के रूप मे प्रस्तुत किया जा रहा है भारत मे योग उसू रूप मे प्रस्तुत हो रहा है जिस रूप मे वह कोरिया से आरम्भ होते हुवे , बर्तमान संस्करण तक पहुंचा है ,इसी प्रकार जिमनास्टिक युनान से होते हुवे शरीर को विविध प्रकार से मोड़ने तक बिकसित हो गया , इसी प्रकार डच से होते हुवे स्केटिंग इग्लैन्ड से दुनिया मे प्रसिद्ध हो गया , शरीर को विविध प्रकार से मोड़ना योग नही ना ही इसे हम आसन कह सकते है , क्योकि आसन भी उसे कहते है जहां कुछ समय तक सुख पूर्वक ठहरा जा सके ।
तो योग के नाम पर शरीर को मोड़ने तोडने की कला क्या है
जैसे जिम मे हम अपने शरीर को बलिष्ट बनाने के प्रयोग करते है उसी प्रकार आसन भी हड्डियों मे लचक पैदा करने वाले अभ्यास है पर आसनो का महत्व तभी है जब सम्बम्धित आसन मे रहकर साधक के शरीर मे निर्वाध रूप से (आक्सीजन ) प्राण वायु का प्रवाह निर्वाध रूप से बना रहे यदि इस कारण मे अवरोध पैदा होता हो तो यह अवरोध साधक को अपेक्षित लक्ष्य तक नही ले जायेगा , जैसे हर क्रिया की अच्छी व बूरी प्रतिक्रिया होती है वैसे ही आसनों की भी ।
योग क्या है
पतंन्जली योग शास्त्र में पहला शूत्र है” अथ योगानुशासनम् ,यनि अनुशासन ही योग है , उसके बाद योग: चित्त बृति निरोधय , यनि मन की चंचलता पर अकुंश , इन्द्रियो की गुलीमी से छुटकारा , आदि –
यनि योग शरीर को विविध आसनो मे मोडने के विज्ञान तक सिमित नही है अपितु , इसके ब्यापक उद्देश्य.है इसके लिये तीन आसन प्रमुख आसन है सिद्धासन , पद्मासन , बृजाशन , जिसमे मे शरीर को सुख पूर्वक टिकाया दा सकता है साधक देर तक रह सकता है ।