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पर्वतीय इतिहास में अल्मोड़ा का अपना महत्व है , किन्तु ऐतिहासिक धरोहरों को अपने पुराने स्वरूप मे बनाये रखने में अल्मोड़ा नाकाम हो गया है , गगनचुम्बी इमारतें कही से भी इसके प्राचीन होने का प्रमाण नही देती सभी पुराने भवन जर्जर हालात मे है भवन स्वामी अल्मोड़ा से पलायन कर चुके हैउनकी सम्पत्तियों के कई मालिक हो गये है जिन्हें अपनी बिरासत को सभालने की रुचि नही है । जैसे गांवों से शहरों को पलायन हुवा वैसे ही अल्मोड़ा से महानगरों की तरफ पलायन हो रहा है । ऐसे मे बिना जनसहयोग के अल्मोड़ा को खूबसूरत बनाना अकेले सरकार के बलबूतें की बात नही है ।

अल्मोड़ा की पटाल बाजार को अपने पुराने स्वरूप में लाने के लिये जिलाधिकारी बन्दना ने एक फुलप्रुफ प्लान बनाया है जिसमें शासन की ओर से कुछ आपत्तिया लगी है । सूत्रों ने बताया कि इसी हफ्ते इन आपत्तियों का निस्तारण कर जिला प्रशासन शासन को पत्रावलियां भेज देगा उसके बाद इस प्रोजक्ट को मंजूरी मिलने की संम्भावना है । पूर्व मे लगा कोटा स्टौन उखाड़ कर इसके स्थान पर , पर्वतीय पटाल बिछाये जाईगे , जिस प्रकार नैनीतील मे पर्यटन सीजन पर बड़ा दबाव पड़ जाता है यदि पर्यटकों को अल्मोड़ा में कुछ सुविधाये मिलेंगी तो पर्यटक अल्मोड़ा का भी रूख करेंगें ।

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