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चीन एक ऐसी सेना बना रहा है जिसके सैनिक चिंपैजी व मानव की हाईब्रीड़ होगी । सामान्यत: लोग प्रश्न करते है कि क्या गणेश का मुँह हाथी का शरीर मनुष्य का , या फिर नरसिंघ अवतार में मुह व पंजे शेर के शरीर मानव का क्या यह संभव है । लोंग देवी भागवत मे रक्तबीज के अवतार पर भी सवाल उठाते है । कई बार बहुत से मन्दिरों में हम बिचित्र आकृतियाँ देखते है जिसमे एक महिला की जीभ सांप की व शरीर महिला का ऐसा हो सकता है । या शरीर पुरुष का व मुंह गधे का हो सकता है । दुनियां के वैज्ञानिक अब इसी खुराफात मे लगें है

विज्ञान जब सनक की हद तक पहुँच जाता है ।तब ऐसा सम्भव है । रक्त बीज की कहानी को जब वैज्ञानिकों ने धरातल पर उतारने की ठानी तो डोली भेंड़ का क्लोन तैयार हे गया डौली भेड़ हूबहू अपने अंश की तरह थी रक्त बीज भी हूबहू अपने हमशक्ल जैसा ही था कालान्तर मे मानव क्लौन बनाये गये पर विवाद के बाद इस पर काम नही हुवा । चीन के तानाशाह स्तालिन ने सन् उन्नीस सौ अस्सी के(1980) के दशक मे चिपैन्जी व मनुष्य की ब्रीड़ मिलाकर एक ऐसा प्राणि बनाने की कोशिस की जिसमें दोनों के गुण हों यह हिमालय व मैदानों मे काम कर सके। पर कालान्तर मे इस पर काम रोक दिया गया । जिसे चीन सरकार अब फिर से आरम्भ करने जा रही है वह एक ऐसी सेना बनाने पर काम कर रही है जों बर्फ व जंगलों मे काम करने के लिये अनुकूल हों ।

वैज्ञानिकों ने जब पहला मनुष्य का क्लौन बनाया तब दुनियां मे हमशक्ल तैयार करनेे पर बहस छिड़ गई । एक पक्ष का कहना था इससे स्वास्थ सुविधाओं के लिये माानव अंगो की आपूर्ति हों जायेगी ,पर दूसरे पक्ष का कहना था कि यह अमानवीय है । एक को बचाने के लिये दूसरे को प्रकाड़ित नही किया जा सकता इससे कानून ब्यवस्था मे भी अवरोध होगा । आज जो सरकार आधार कार्ड बना रही है यह , बेमानी हो जायेगी क्योकि फिर तो एक समान बायोग्राफी वाले कई इंसान हो सकते है । फिर अन्तत: दुनियां की सरकारो ने तय किया कि मानव क्लोंन ना बनाये जाय ।

दुनियां मे मानवीय सरकारें हर पहलुओं पर सोचती हैै , पर चीन जैसी तानाशाह सरकारें केवल अपने देश ही नही राजनैतिक के हिंतों के बारे में ही सोचती है । हाल मे ही जब चीन कृतिम सूर्य बना रहा है । तो इसके पृथ्वी पर दूरगामी प्रभाव पडे़गे रात्री मे जब यह सूर्य दिन की तरह चमकेंगा तो वे करोडों जीव नस्ट हों जाइगे जो अपना जीवन चक्र रात्री मे ही पूर्ण करते है । इन सबका मानव जीवन पर ऐसा बिनासकारी प्रभाव पडे़गा कि मानव इसकों देखमे के लिये सकुशल जीवन भी नही जी पायेगा । कौरोना वाईरस यों ही मजबूत नहीं हो रहा अपितु इस जैसे भीषण वाईरसों को नस्ट करने वाले वाईरस विकास की भंट चढ रहे है । मानव की वर्तमान प्रजाति या तो बिमार रहेगी। या नस्ट हो जायेगी हो सकता है कि दुनिया एक नई प्रजाति का जन्म हो

1980 के दशक में एक रिपोर्ट सामने आई जिसमें 1967 में चीन में किए गए मानव-चिंपांजी क्रॉसब्रीडिंग लेकर चीन सरकार नई सेना तैयार करने का विचार किया। मीड़िया रिपोर्ट के आधार पर चीनी सरकार ने इस परियोजना को अब दोबारा शुरू कर रही है लंबे समय से इंसानों और दूसरे जानवरों के बीच एक हाइब्रिड बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जो आज भी जारी हैं 2019 में यूएस साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज के प्रोफेसर जुआन कार्लोस इजपिसुआ बेलमोंटे के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने कथित तौर पर एक मानव और बंदर का हाइब्रिड तैयार किया था जो 19 दिनों तक जीवित रहा था।रूस में सोवियत वैज्ञानिकों को 1920 के दशक में तानाशाह माओँ ने एक हाइब्रिड एप-मैन (बंदर-मानव) ‘सुपर सैनिक’ बनाने का आदेश दिया था जो चरम परिस्थितियों में भी काम करने में सक्षम हो जहां आम इंसानों के लिए जीवित रहना भी मुश्किल था। उस समय के गुप्त दस्तावेज, जिन्हें 1990 के दशक में सार्वजिनक किया गया था, बताते हैं कि क्रेमलिन प्रमुख ‘बेहद ताकतवर लेकिन अविकसित दिमाग वाली’ मानव-बंदरों की एक सेना चाहते थे सर्कस में परफॉर्म करने वाला एक वानर ओलिवर के मानव-चिंपैंजी हाइब्रिड होने की सूचना मिली थी। यह अन्य चिंपैंजी की तुलना में ज्यादा बुद्धिमान प्रतीत होता था और इसके शरीर पर कम बाल थे।
मानव और पशु लक्षणों के मिश्रण को प्रदर्शित करने वाले प्राणियों ने समान रूप से मिश्रित उपस्थिति के साथ-साथ दुनिया भर में कई परंपराओं में एक विशाल और विविध भूमिका निभाई है। [6] कलाकार और विद्वान पिएत्रो गेएटो ने लिखा है कि “मानव-पशु संकरों के प्रतिनिधित्व का मूल हमेशा धर्म में होता है”। “क्रमिक परंपराओं में वे अर्थ में बदल सकते हैं लेकिन वे अभी भी आध्यात्मिक संस्कृति के भीतर रहते हैं”, गैएटो ने तर्क दिया है, जब एक विकासवादी दृष्टिकोण में पीछे मुड़कर देखते हैं। प्राचीन मिस्र के समाज के विभिन्न तत्वों के साथ ग्रीक और रोमन पौराणिक कथाओं में जीव दिखाई देते हैं और विशेष रूप से उन संस्कृतियों में बहते हैं। प्रमुख उदाहरणप्राचीन मिस्र के धर्म में , इस तरह के कुछ शुरुआती संकर प्राणियों की विशेषता है , जिसमें कुत्ते की तरह मौत का देवता शामिल है जिसे अनुबिस और शेर की तरह स्फिंक्स के नाम से जाना जाता है । [12] [

एक प्रमुख संकर आकृति जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है, वह पान की पौराणिक ग्रीक आकृति है। एक देवता जो अदम्य जंगली पर शासन करता है और उसका प्रतीक है, वह प्राकृतिक दुनिया की अंतर्निहित सुंदरता को व्यक्त करने में मदद करता है जैसा कि यूनानियों ने चीजों को देखा था। उन्हें विशेष रूप से प्राचीन शिकारियों , मछुआरों, चरवाहों और प्रकृति से घनिष्ठ संबंध रखने वाले अन्य समूहों द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ । पान एक व्यंग्यकार है जिसके पास एक बकरी का मुख , पैर और सींग होते हैं, जबकि शारिरिक रूप से धड मनुष्य का है विभिन्न देवताओं, मनुष्यों और अन्य लोगों के साथ उनके मुठभेड़ों की कहानियां कई वर्षों से कई अलग-अलग संस्कृतियों में लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा रही हैं।

चीनी पौराणिक कथाओं , का आंकड़ा चू पा-चीह से होकर गुजरती है एक निजी यात्रा है, जिसमें वह पुण्य के लिए दुष्टता देता है। अपने अनैतिक कार्यों से स्वर्ग में अशांति पैदा करने के बाद, उसे पृथ्वी पर निर्वासित कर दिया जाता है। गलती से, वह एक बोने के गर्भ में प्रवेश करता है और अंत में आधा आदमी/आधा सुअर के रूप में जन्म लेता है। एक सुअर के सिर और कान के साथ एक मानव शरीर के साथ, अपने पिछले जीवन से पहले से ही पशु-समान स्वार्थ की भावना बनी हुई है। अपनी मां को मारने और खाने के साथ-साथ अपने भाइयों को खा जाने के बाद , वह एक पहाड़ी ठिकाने के लिए अपना रास्ता बना लेता है, अपने रास्ते को पार करने के लिए दुर्भाग्यपूर्ण यात्रियों का शिकार करने में अपने दिन बिताता है। हालांकि, दयालु देवी कुआन यिन के उपदेश, चीन में यात्रा करते हुए, उसे एक महान मार्ग की तलाश करने के लिए राजी कर देती है , और उसके जीवन की यात्रा और अच्छाई का पक्ष इस तरह आगे बढ़ता है कि उसे स्वयं देवी द्वारा एक पुजारी ठहराया जाता है।

एक जापानी लड़की सड़क के किनारे तनुकी मूर्तियों के एक समूह कोदर्शाती है ।कई संकर संस्थाओं ने लंबे समय से जापानी मीडिया और देश के भीतर पारंपरिक मान्यताओं में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिये जापान मे एक देवता जिसका सिर कुत्ते की तरह था। लोग इसे भगवान की तरह पूजते थे ।

मानव व जानवरो की हाईब्रीड कोई नई कल्पना नही है। प्राचीन अनातोलिया और मेसोपोटामिया के पात्र कुछ इसी तरह के है । कई मूर्तियो का ऐसा चित्रण किया गया है जिसमे दुष्ट मानव व पशु रूप मे दर्शाये गये देवता शकर प्रजाति जैसे लगते है । जैसे भारत मे नरसिंघ अवतार गणेश अवतार कह सकते है । विलियम पीटर ब्लैटी के 1971 के उपन्यास द एक्सोरसिस्ट एंड द एकेडमी अवार्ड विजेता 1973 बनी एक फिल्म मे , एक मासूम युवा लड़की के शरीर पर दानव जैसी जानवरों की आकृतियां दिखाई गई जिसे अब तक की सबसे बड़ी हॉरर फिल्मों में से एक माना जाता है , फिल्म के सह-नायक फादर मेरिन ( मैक्स वॉन सिडो ) इराक में एक पुरातात्विक खुदाई का दौरा करते हैं और अशुभ रूप से राक्षसी होने की एक पुरानी मूर्ति की खोज करते हैं।।

भारतीय पौणाणिक कथायें ऐसी कई कहानियों का सग्रह है ।जो मनुष्य को एक सोच प्रदान करती है पर समझ के लिये वैज्ञानित प्रयोग की जरूरत होती है । आरम्भ मे ये प्रयोग किसी मूर्खता से कम नही होते कई लोगों को इनकी कीमत भी चुकानी पडती हैै । पर धीरे – धीरे परिणाम भी निकलते है ।प्रयोगो की वैज्ञानिक व आध्यात्मिक परम्पराओं को हम वैदिक आध्यात्म कह सकते है ।। एक तत्थ्य से दुनियां लगभग परिचित है कि आठवी पीढी में कोई भी वस्तु जिसे शंकर बिधि से बनाया गया हो वह अपने मूल अथवा नये स्वरूप मे लौट आती है ।भारतीय बनस्पति वैज्ञानिक डा हरगोविन्द खुराना ने पौधों पर प्रयोग के बाद यह पाया कि आठवी पीढी मे बीज अपने मौलिक स्वरूप को प्राप्त हो जाते है ।भारतीय परम्पराओं मे भी स्त्री व पुरुष विवाह के समय केवल सात जन्मों तक ही एक होंने का बचन देते है। क्योंकि आठवी पीढी मे उनकी सन्ताने गुण कर्म व स्वभाव मे ही नही डी एन ए मै भी अन्तर के साथ पैदा होगी ।