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देश का नया संसद भवन बनकर तैयार हो गया है , यह राष्ट्र को समर्पित हेने जा रहा है , राष्ट्पति पद मे दलित आदिवासियों को बिठाकर इस समुदाय का राजनैतिक उद्देश्यों के लिये समर्थन जुटाना ,कोई नई बात नही है वर्तमान मे बी जी पी इस समुदाय का समर्थन लेकर ही देश की संसद मे सबसे बड़ी पार्टी है । यह देश के लिये गौरव का क्षण है कि पी एम मोदी देश को एक नई संसद की इमारत देने जा रहे है जिसमें भविष्य मे देश की राजनीति की दिशा व दशा का चिन्तन होगा ।
संसद भवन के उद्घाटन को लेकर राजनीति मे घमाशान मचा है , इसका उद्घाटन राष्ट्रपति से ना करा कर प्रधानमन्त्री स्वयं करा रहे है , जिसे विपक्षी दलों के सरकार पर हमला करने का एक नया मुद्दा बनाया गया है , बिपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च पद है ,। ऐसे मे नये संसद के भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिये , इस मामले को काग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीटर हैण्ड़िल से उठाया , है अब देश मे एक के बाद – एक लगभग 18 राजनैतिक दल राष्ट्रपति से संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग कर रहे है । तथा इस प्रकरण मे राष्ट्रपति की उपेक्षा को केवल सर्वोच्च समवैधानिक पद की उपेक्षा ही नही अपितु दलित आदिवासियों के समुदाय से आने वाली सर्वोच्च पदासीन नेता की उपेक्षा मान रहे है , ।अभी तक प्राप्त सूचनाओं के अनुसार फिलहाल राष्ट्रपति को इस समारोह मे नही बुलाया गया है । इस पर इन 18 दलें रे नेताओं का कहना है कि वे भी इस कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे ।